Hindi, asked by nlkulwant, 21 days ago

होली के त्योहारों पर लगाए जाने वाले रासायनिक रंगों के कोई तिन नुकसान व प्राकृटिक रंगों के कोई तिन लाभ लिखिए l

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Answered by anandsaxena1968be10
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रंगों के बगैर होली का त्योहार असंभव है, लेकिन आजकल रंगों में होने वाले केमिकल के इस्तेमाल के चलते आपको कई तरह की स्वास्थ्य और सौंदर्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। जानिए होली के रंग से होने वाले यह 5 नुकसान -

1 होली में खास तौर से प्रयोग किए जाने वाले गहरे रंग कई तरह के खतरनाक केमिकलयुक्त व ऑक्सीडाइड होते हैं। यह रंग आपके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालते हैं।

2 केमिकल युक्त रंग आपकी त्वचा को तो खराब करेंगे ही, साथ ही जलन, खुजली, सूजन जैसी समस्याओं के जरिए त्वचा की गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकते हैं।

 

3  इन केमि‍कल युक्त रंगों का इस्तेमाल आपको कार्नियल अल्सर, कंजेक्टि‍वाइटि‍स और एलर्जी देने के साथ-साथ आपके आंखों की रौशनी भी छीन

4 सिर की त्वचा पर लगने पर यह रंग त्वचा को प्रभावित कर डैंड्रफ जैसी समस्याओं के साथ बालों को कमजोर कर, बाल झड़ने के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है।

 

5 हवा में उड़ते यह रंग आपको सांस संबंधी समस्याएं देकर दमा का मरीज भी बना सकते हैं। अगर आपको पहले से ऐसी कोई समस्या है तो सूखे रंगों का प्रयोग न करें।

Answered by nilesh102
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प्रश्न : होली के त्योहारों पर लगाए जाने वाले रासायनिक रंगों के कोई तिन नुकसान व प्राकृतिक रंगों के कोई तिन लाभ;

होली त्योहार सभी रंगों, आनंद और मस्ती के बारे में है। हालांकि, जैसे ही हम इस त्योहार की भावना में आते हैं, हमारी त्वचा और शरीर पर नजर रखना महत्वपूर्ण है।

परंपरागत रूप से सूखे फूलों और जड़ी-बूटियों से बने रंगों को अब कठोर रसायनों और रंगों का उपयोग करके बनाया जा रहा है। हर साल होली की शुरुआत के दौरान, हानिकारक रसायनों वाले रंगों के उपयोग से पीड़ित लोगों के बारे में सुना जाता है।

रसायनिक रंगों के नुकसान :

  • आजकल रंग इंजन ऑयल, डीजल, एसिड, अभ्रक, कांच के पाउडर और क्षार से बनाए जाते हैं।
  • ये सभी त्वचा को बहुत बुरी तरह से नुकसान पहुंचाते हैं।
  • कुछ मामलों में, ये रंग एक्जिमा, त्वचा में जलन, सांस लेने में दिक्कत और त्वचा के फड़कने जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बनते हैं।
  • यह रंग मुख्य रूप से त्वचा की आंखों, फेफड़ों और बालों को नुकसान पहुंचाते हैं।

प्राकृतिक रंगों के लाभ :

  • प्राकृतिक रंग त्वचा पर अधिक कोमल होते हैं और सूखापन और खुजली जैसी समस्याओं को दूर रख सकते हैं।
  • परंपरागत रूप से, वसंत के फूलों का उपयोग होली के लिए रंगों के स्रोत के रूप में किया जाता था, लेकिन समय के साथ कृत्रिम रंगों ने इन प्राकृतिक अवयवों का स्थान ले लिया है।
  • पीले रंग के लिए हल्दी पाउडर का इस्तेमाल किया गया था, लाल रंग के लिए गुड़हल के फूल और हरे रंग के लिए मेंहदी का इस्तेमाल किया गया था।
  • प्राकृतिक रंग हानिकारक नहीं होते अतः इनसे कोई भी हानिकारक समस्या उपलब्ध नहीं होती।
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