हालाँकि उस वक्त मेरा भेष ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी खयाल करना चाहिए था।'
उक्त कथन के अनुसार हमारे आचार-व्यवहार के तरीके वेशभूषा के आधार पर तय होते हैं।
आपकी समझ से यह उचित है अथवा अनुचित, विचार व्यक्त करें।
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हालाँकि उस वक्त मेरा भेष ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी खयाल करना चाहिए था।'उक्त कथन के अनुसार हमारे आचार-व्यवहार के तरीके वेशभूषा के आधार पर तय होते हैं। मेरे विचार से यह अनुचित है।
- हम विशभूषा को देखकर इंसान की परख करते है, यह अनुचित है , किसी ने अच्छे कपड़े पहने हो तो आवश्यक नहीं कि वह अच्छे व्यक्तित्व वाला होगा। महंगे महंगे कपड़े पहनने वाला इंसान दुराचारी भी हो सकता है या कोई गरीब जो अच्छे कपड़े नहीं खरीद सकता वह अच्छे व्यक्तित्व वाला व्यक्ति हो सकता है।
- अच्छे कपड़े पहनने से कोई सज्जन नहीं हो जाता, आजकल लोग आडंबर की दुनिया में जीते है, दिखावा करते है।बाहर से साफ सुथरे कपड़े पहनकर मन में तरह तरह के षड्यंत्र रचते है,संपत्ति के झगडे में भाई भाई का दुश्मन हो जाता है। इसके विपरित सीधे सादे कपड़े पहनने वाला गरीब मजदूर या गरीब किसान बड़े दिल वाला हो सकता है, वह गैरों पर भी जान लुटाते है।
- आज भी हमारे सामने ऐसे उदाहरण है जिनकी वेशभूषा साधारण होती है परन्तु उनका अस्तित्व महान होता है , उन्होंने समाज में अपनी एक पहचान बनाई है जैसे जे . आर. डी. टाटा । वे सादगी पूर्ण जीवन व्यतीत करते है। इतनी बड़ी मल्टी नेशनल कंपनी के मालिक है परंतु अभिमान बिल्कुल नहीं है।
- अतः वेशभूषा से किसी को परखा नहीं जा सकता।
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