होलिकाया: शक्रः वर्ण - विच्छेद कुश
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दूसरे शब्दों में – स्वर या व्यञ्जन को अलग-अलग करना वर्ण-विच्छेद है। इसकी कोई मात्रा नहीं होती। वर्ण-विच्छेद करते समय हमें स्वरों की मात्राओं को पहचानना पड़ता है और उस मात्रा के स्थान पर उस स्वर (अ, आ, इ, ई आदि) को प्रयोग में लाया जाता है जिसकी वह मात्रा होती है।
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Explanation:
ह् + ओ + ल् + इ + क् + आ + य् + आः - होलिकायाः
श् + अ + क् + र् + अः - शक्रः
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