'हेलेन केलर' पाठ पर एक अनुच्छेद लिखिए
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हेलेन केलर दुनिया भर में सभी शारीरिक रूप से अक्षम लोगों, विशेष रूप से बहरे और अंधे लोगों के लिए एक प्रेरक और प्रेरक प्रतीक हैं।
हेलेन केलर स्वयं बहरी और अंधी थीं लेकिन उन्होंने अपनी सभी चुनौतियों का सामना करके दुनिया को यह दिखाया कि वह एक उत्तरजीवी और एक उपलब्धि हासिल करने वाली हैं, जिन्होंने अपनी सभी सीमाओं को पार कर लिया है।
बचपन और शिक्षा: हेलेन केलर का जन्म 1880 में अमेरिका के अलबामा में हुआ था।
उनके पिता एक स्थानीय प्रकाशन के संपादक थे।
कम उम्र में ही उसे एक गंभीर बीमारी हो गई, या तो मेनिनजाइटिस या स्कार्लेट फीवर, इसके दुष्परिणामों ने उसे बहरा और अंधा दोनों छोड़ दिया।
लेकिन उस कम उम्र में भी, वह एक उत्तरजीवी थी और सांकेतिक भाषा सीखने में अच्छी थी।
ऐनी सुलिवन, उसकी शिक्षिका भी नेत्रहीन थी और अपने विशेष छात्र की विशिष्टता से इतनी प्रभावित हुई कि वह अगले 29 वर्षों के लिए उसकी शिक्षिका, साथी और शासन बन गई।
हेलेन केलर ने विभिन्न प्रतिष्ठित कॉलेजों के माध्यम से अपनी शिक्षा जारी रखी और कला स्नातक की डिग्री हासिल करने वाली पहली बधिर और नेत्रहीन व्यक्ति बन गईं।
लेखक: हेलेन केलर एक अमेरिकी मूल की, लेखिका थीं और उन्हें 2015 में अलबामा राज्य के लेखक हॉल ऑफ फ़ेम में शामिल किया गया था। उन्होंने अपने पूरे जीवन में बारह पुस्तकें और विभिन्न लेख लिखे।
22 साल की उम्र में
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हेलेन केलर का जन्म 27 जून 1880 को अमेरिका के अलाबामा राज्य में हुआ था। वे अमेरिका की प्रमुख लेखिका, शिक्षिका और एक प्रसिद्ध राजनितिक कार्यकर्ता थी। केलर के पिता जी का नाम आर्थर केलर जो के आर्मी में कप्तान थे और माता जी का नाम केट अडम्स था।
सन 1882 में छोटी सी उम्र में आप बेहद बीमार पड़ गयी थी जिससे आपके सूनने, बोलने और देखने की शक्ति नष्ट हो गयी थी। जब हेलेन केलर 7 साल की हुई तो उनकी मुलाक़ात ऐनी सुवेलिन से हुई जो उनकी शिक्षिका बनी। ऐनी सुवेलिन ने अपने कठोर परिक्षम से हेलेन को कॉल ब्रेल लिपि पढना सिखाया।
14 वर्ष की आयु में हेलेन केलर ने बधिरों की पाठशाला में अपना नाम लिखवा दिया कई विषयों के साथ केलर ने फ्रेंच, लैटिन तथा जर्मन भाषाओं का अच्छा ज्ञान
हासिल कर लिया। इसके बाद उन्होंने कॉलेज की शिक्षा भी हासिल की
सन 1902 में हेलेन केलर की पुस्तक 'मेरी जीवन की कहानी’ प्रकाशित हुई जिस का अब तक 50 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
ब्रेन लिपि में उन्होंने कई पुस्तकें लिखी अनेक का अनुवाद भी किया। सन 1904 में केलर कला से स्तानक करने वाली संसार की पहली दृष्टिहीन बाधिर महिला बनी। हेलेन के हौंसले ने साबित कर दिया के शरीर की अपंगता उसके कार्यों में बाधक नहीं बन सकती और हर कोई साहस और परिक्षम से सफलता हासिल कर सकता है।
हेलेन केलर ने अपना सम्पूर्ण जीवन अपने जैसे विकलांग बच्चों की मदद करने में बिता दिया इसके इलावा उन्होंने दुनियाभर की महिलाओं के मताधिकार
के लिए आवाज़ उठाई उनकी मृत्यु 1 जून 1968 को हुई। उन्होंने अपने महान कार्यों से दुनिया में अपना नाम कमाया सारा जगत आज भी उन्हें याद करता है और करता रहेगा
वाक्य ही हेलेन केलर एक मजबूत इरादों वाली नारी
थी।
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