हिम और मेघ के बसेरे जहां पर कविता हिन्दी में
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कविता हिन्दी कविता. चोटी पर झुके हुए मेघ को उसने देखा तो. ऐसा जान ... पुरी में तुम्हें जाना है, जहाँ बाहरी उद्यान में. बैठे हुए ... बसेरा करना जो तुम्हारा सम्पर्क पाकर खिले ... उस हिम-धवलित पर्वत पर पहुँचकर जब.
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