होम साइंस पहला चैप्टर गृह विज्ञान के तत्व क्षेत्र क्वेश्चन गृह विज्ञान का प्रमुख तत्व क्या है इसका आंसर
Answers
प्रश्न 1:
‘गृह विज्ञान’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा परिभाषा निर्धारित कीजिए।
या
‘गृह विज्ञान’ से आप क्या समझती हैं? गृह विज्ञान के तत्वों का भी उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
20वीं शताब्दी के प्रारम्भ में हई औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप जीवन-मूल्यों में भारी परिवर्तन आए, जिससे स्त्रियों को पुरुषों के समान घर से बाहर निकलकर काम करना पड़ा। इससे स्त्रियों के कार्यक्षेत्र और उत्तरदायित्वों में वृद्धि हुई। घर एवं घर से बाहर के उनके द्विमुखी उत्तरदायित्व को कुशलतापूर्वक निभाने के लिए एक ऐसे विषय की आवश्यकता अनुभव की जाने लगी जो सामान्य घरेलू जीवन को उत्तम, (UPBoardSolutions.com) सरल, कम श्रम-साध्य तथा समय की बचत कराने में सहायक हो। इसी सन्दर्भ में क्रमश: एक विषय का विकास हुआ, जिसे आज गृह विज्ञान के रूप में जाना जाता है। घर-परिवार को सुविधाजनक व आर्थिक रूप से निर्भर बनाने के लिए सर्वप्रथम स्त्रियों की रुचि गृह-अर्थशास्त्र की ओर उत्पन्न करने का प्रयास किया गया। समय के साथ-साथ इस विषय का क्षेत्र विस्तृत होता गया तथा इसने अन्त में आज के गृह विज्ञान का रूप ले लिया।
गृह विज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा
गृह विज्ञान दो शब्दों से मिलकर बना है-‘गृह’ तथा ‘विज्ञान’। गृह का अर्थ है ‘घर’ और विज्ञान का अर्थ है ‘व्यवस्थित ज्ञान’। इस प्रकार, गृह विज्ञान का अर्थ गृह से सम्बन्धित विभिन्न पहलुओं; जैसे आवास, भोजन, वेशभूषा आदि का व्यवस्थित अध्ययन करना है। सर्वप्रथम गृह विज्ञान; अर्थशास्त्र की शाखा के रूप में अमेरिका में विकसित हुआ। अमेरिकन होम इकोनोमिक्स एसोसिएशन के अनुसार, “गृह-अर्थशास्त्र शिक्षा का विशिष्ट विषय है, जिसके अन्तर्गत आय-व्यय, भोजन की स्वच्छता एवं रुचिपूर्णता, वेशभूषा और आवास आदि के रुचिपूर्ण एवं उपयुक्त चुनाव तथा तैयारी और परिवार एवं अन्य मानव समुदायों द्वारा उनके उपयोग का अध्ययन किया जाता है।” समय के साथ-साथ इस विषय ने अधिक व्यापक रूप धारण कर (UPBoardSolutions.com) लिया तथा इसमें शरीर विज्ञान, स्वास्थ्य एवं रोगाणु विज्ञान, आहार एवं पोषण तथा पर्यावरण सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण विषय भी सम्मिलित किए गए हैं।
जापान में इस विषय को गृह-प्रशासन के नाम से जाना जाता है। गुड जॉनसन के अनुसार, “गृह व्यवस्था सामान्य देशों में अत्यधिक सामान्य व्यवस्था है जिसमें अधिकांश व्यक्ति कार्यरत होते हैं तथा अधिकतर धन का उपयोग किया जाता है और यह व्यक्तियों के स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।”
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☆गृह विज्ञान के तत्त्व☆
गृह विज्ञान का अध्ययन गृह एवं परिवार के उत्तम जीवन–स्तर का मूल आधार है। गृह विज्ञान में वे सभी तत्त्व सम्मिलित हैं जो परिवार की आवश्यकताओं व उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं। गृह विज्ञान के मूल तत्त्व निम्नलिखित हैं
●(1) परिवार के सदस्यों की बहुमुखी विकास:
परिवार के रूप में मनुष्य ने एक ऐसी संस्था का विकास किया है जहाँ उसका शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक सभी प्रकार का विकास होता है। परिवार में ही परिवार के प्रत्येक सदस्य को सुरक्षा प्राप्त होती है, प्रत्येक सदस्य का अपना उत्तरदायित्व होता है तथा प्रत्येक सदस्य के अधिकार (UPBoardSolutions.com) और कर्तव्य होते हैं। अतः परिवार के सभी सदस्यों के स्वस्थ विकास और अभिवृद्धि के लिए सहायक पर्यावरण की व्यवस्था करना गृह विज्ञान का मूल तत्त्व है अर्थात् बालकों का समुचित पालन-पोषण हो, जिससे वे समाज की उन्नति में अपना योगदान दे सकें, यह गृह विज्ञान का मुख्य उद्देश्य है।
●(2) नियोजन:
किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक करने के लिए नियोजन आवश्यक है। पारिवारिक जीवन में आर्थिक सन्तुलन के लिए आय को नियोजित रूप से व्यय करने तथा नियमित बचत करने की आवश्यकता होती है। गृह विज्ञान से क्रय-विक्रय, बजट व बचत आदि से सम्बन्धित जानकारी मिलती है, जिससे व्यय एवं बचत का नियोजन करना सम्भव हो पाता है। गृह प्रबन्ध के लिए भी नियोजन अति महत्त्वपूर्ण है। गृह के सन्दर्भ में परिवार नियोजन, बजट बनाने तथा बचत नियोजन का महत्त्व आधुनिक युग की बढ़ती हुई आवश्यकताओं में प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
●(3) नियन्त्रण:
नियोजन योजना के निर्माण में सहायक होता है, तो नियन्त्रण योजना के अनुसार कार्य करने के लिए उत्तरदायी है। नियन्त्रण चालू योजना को कार्यक्रम अथवा परिस्थितियों के अनुकूल परिवर्तित भी करता है। उदाहरण के लिए-गृहिणी अपने दैनिक कार्यक्रम की योजना स्वयं बनाती है। तथा (UPBoardSolutions.com) आवश्यकता पड़ने पर इसमें इच्छित परिवर्तन भी कर लेती है, परन्तु जीवन में अनेक घटनाएँ इस प्रकार की होती हैं कि जिन पर नियन्त्रण सम्भव नहीं हो पाता। गृह विज्ञान हमें ऐसी घटनाओं से निपटने की शिक्षा देता है; जैसे कि जल जाना, हाथ कट जाना आदि दुर्घटनाओं के लिए गृह विज्ञान प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी देता है।
●(4) मूल्यांकन:
गृह विज्ञान एक जीवन दर्शन है, जिसका लक्ष्य सदैव परिवार के सभी सदस्यों का सर्वांगीण कल्याण करना रहता है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मूल्यांकन एक महत्त्वपूर्ण कसौटी है। विभिन्न कार्यों के नियोजन का मूल्यांकन किया जानी चाहिए। नियोजन के मूल्यांकन पर नियोजन की सफलता अथवा असफलता निर्भर करती है। इसी प्रकार नियन्त्रण की सफलता भी मूल्यांकन पर निर्भर होती है। उदाहरण के लिए कोई (UPBoardSolutions.com) गृहिणी अपने दिनभर के कार्यों का मूल्यांकन जब रात्रि में करती हैं, तो उसे पता चलता है कि कुछ कम आवश्यक कार्यों में अधिक समय लगने के कारण उसे ललित कलाओं अथवा सामाजिक गतिविधियों के लिए समय नहीं मिल पाया। अत: दूसरे दिन वह कार्यों की योजना में यथेष्ट परिवर्तन कर समय की बचत कर सकती है। इस प्रकारे, मूल्यांकन भावी योजनाओं के लिए ठोस आधार प्रस्तुत करता है तथा भविष्य में होने वाली हानियों से बचाता है।