Hindi, asked by borhadedadasaheb, 9 months ago

१. हे मातृभूमि !
रामप्रसाद बिस्मिल'
परिचय
हे मातृभूमि ! तेरे चरणों में शीश नवाऊँ ।
मैं भक्ति भेंट अपनी, तेरी शरण में लाऊँ ।।
माथे पे तू हो चंदन, छाती पे तू हो माला;
जिह्वा पे गीत तू हो मेरा, तेरा ही नाम गाऊँ ।।

जिससे सपूत उपजें, श्री राम-कृष्ण जैसे;
उस धूल को मैं तेरी निज शीश पे चढ़ाऊँ ।।
जन्म: १८९७, शाहजहाँपुर (उ.प्र.)
मृत्यु:१९२७, गोरखपुर (उ.प्र.)
परिचय
रामप्रसाद 'बिस्मिल'
भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी ही
नहीं बल्कि उच्च कोटि के
कवि, अनुवादक, बहुभाषाविद व
साहित्यकार भी थे। आपने देश की
आजादी के लिए अपने प्राणों की
आहुति दे दी। 'सरफरोशी की
तमन्ना...' आपकी प्रसिद्ध रचना
है। बिस्मिल' उपनाम के अतिरिक्त
आप 'राम' और 'अज्ञात' के नाम से
माई ! समुद्र जिसकी पद रज को नित्य धोकर;
भी लेख व कविताएँ लिखते थे।
करता प्रणाम तुझको, मैं वे चरण दबाऊँ ।।
प्रमुख कृतियाँ : 'मन की लहर',
'आत्मकथा' आदि।
सेवा में तेरी माता ! मैं भेदभाव तजकर;
वह पुण्य नाम तेरा, प्रतिदिन सुनूँ-सुनाऊँ ।।
पद्य संबंधी
तेरे ही काम आऊँ, तेरा ही मंत्र गाऊँ।
मन और देह तुम पर बलिदान मैं जाऊँ ।।
प्रस्तुत कविता में क्रांति
एवं स्वतंत्रता सेनानी कवि राम
'बिस्मिल' जी ने मातृभूमि के
अपने प्रेम एवं भक्तिभाव के
किया है। यहाँ आपने मात​

Answers

Answered by hackerthepro27
0

Answer:

what is this pleasevtell me

Similar questions