: हाँ माता जी! मुझे पता है और यह भी पता है कि अपने प्राण
खपाकर भाभी ने भइया को तो बचा लिया था, परंतु भइया के
पास भाभी को बचाने के लिए प्राण नहीं हैं। pls can anybody say why Atul says this.This is from sanskar and bhavna chapter by vishnu prabhakar
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जब अविनाश को हैजा हो गया था तो अविनाश की पत्नी उसकी दिन रात सेवा करके अपने पति की जान बचा ली उसने किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया, मदद तो दूर किसी से दवा तक नहीं मंगाई, पति की सेवा करके उसने अविनाश को तो बचा लिया पर अब वह स्वयं बीमार पड़ गई और अब अविनाश मे वो समर्थ्य नहीं है जिससे वह अपनी पत्नी को बचा सके इसलिए अतुल ने यह शब्द कहे.
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