हामिद को लेखक की बातों पर विश्वास न हो
पाने का प्रमुख कारण क्या है?
दोनों का सामाजिक माहोल अलग होना
लेखक का अपरिचित होना
लेखक का विधी होना
हामिद की संकुचित मानसिकता
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Answer:
लेखक जब तक्षशिला के खण्डहर देखने गया तो वहाँ की कड़कड़ाती धूप में भूख-प्यास से बेहाल हो गया। तभी चपातियाँ की सौंधी महक सूँघकर वह एक दुकान की ओर मुड़ गया जहाँ पठान अंगीठी के पास बैठा चपातियाँ सेंक रहा था। लेखक ने उसे बताया कि वह मालाबार (केरल)का रहने वाला है तो उस व्यक्ति ने शंका व्यक्त की क्या वह हिन्दू होकर एक मुसलमानी होटल में खाना खायेगा। लेखक द्वारा यह बताने पर कि हमारे यहाँ हिंदू-मुसलमान मिल-जुलकर रहते हैं और बढ़िया चाय या बढ़िया पुलाव के लिए मुसलमानी होटल में खाना खाते हैं। लेकिन लेखक की इस बात पर पठान हामिद खाँ को विश्वास न हुआ और बोला-काश मैं आपके मुल्क में आकर सब बातें अपनी आँखों से देख पाता। उसने लेखक को बड़े प्रेम से खाना खिलाया और जिद करने पर भी केवल एक रुपया ही लिया और वह भी यह कहते हुए वापस कर दिया कि इससे अपने मुल्क में जाकर किसी मुसलमानी होटल में पुलाव खा लेना। इस पाठ से हमें यह सीख मिलती है कि हिंदू-मुसलमान सब एक हैं हमें आपस में प्रेम और भाईचारे की भावना से एक साथ मिल-जुलकर रहना चाहिए।