हिन्दी अनुवाद
अभिवादन शीलस्य नित्यं वूद्धीयसेवि:
चत्वारि तस्य वर्धन्त आयुविद्या यशा बलम
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अभिवादन शीलस्य नित्यं वृधोपसेविन |
चत्वारि तस्य वर्धन्तॆ आयुर्विद्या यशॊ बलम् ||
अर्थात :- अपने माता पिता , गुरुजन , को नित्य नमस्कार करने वाले , सेवा करने वाले व्यक्तियों के चार गुण सदैव बढ़ते रहते है |
१-आयु
२-यश
३-विद्या
४-बल
अपूज्या यत्र पूज्यन्ते पुज्यानांच विमानना |
त्रीणि तत्र प्रवर्तन्ते दुर्भिक्षं मरणं भयम् ||
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Explanation:
prati din badon ko pranam karne wala tatha sadaiv badon ki seva karne Wale vyakti ki ayur, vidya Yash aur Bal ye charo chijen badhati hai
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