हिन्दी के प्रति घटती अभिरुचि पर निबंध
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परोपकार घर से आरंभ होती है। हम अपनी विरासत - हमारी मातृभाषा खो रही है। इसके जिम्मेदार केवल हम है।
औपचारिक शिक्षा में जाने के बजाए अपने बच्चों को अपनी मातृभाषा को पढ़ाने और खिलाने की जिम्मेदारी लेना और एक जिम्मेदारी बिंदु है।
हमें सीखने या हमारी भाषा बोलने में रुचि नहीं है।हम अंग्रेजी का उपयोग किये बिना हमारी भाषा में एक वाक्य बनाने में विफल रहते हैं।
यह सबूत है कि हम यह स्वीकार नहीं कर सकते कि हम कौन हैं।हमारी मातृभाषा को ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए प्रेरणा और गर्व का स्रोत बनाने में विफलता है।
हम सबको अपनी मातृभाषा के ओर रूचि लेना ही चाहिए। वरना एक दिन हमारी अपनी पहचान लुप्त हो जाएगी यदि हम अपनी मातृभाषा नहीं बोलेंगे।
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hope it's help full for u
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