हिन्दी कविता में प्रपद्यवाद के प्रवर्तक कौन हैं?
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हिन्दी कविता में प्रपद्यवाद के प्रवर्तक कौन हैं?
हिंदी कविता में प्रपद्यवाद के प्रवर्तक नलिन विलोचन शर्मा रहे हैं।
प्रकृतिवाद जिसे नलिनवाद के नाम से भी जाना जाता है। इस के प्रवर्तक नलिन विलोचन शर्मा थे, जिन्होंने इसकी स्थापना 1956 में की थी।
प्रपद्यवाद यानि नलिनवाद को हिंदी साहित्य में प्रयोगवाद की ही एक शाखा के अंतर्गत माना जाता है। प्रपद्यवाद को नलिनवाद इसलिए कहते हैं क्योंकि यह तीन कवियों के संदर्भ में लिया जाता है, जिनके नाम हैं, नलिन विलोचन शर्मा, केशरीकुमार, नरेश।
इस तरह हिंदी साहित्य में प्रपद्यवाद के प्रवर्तक मुख्य रूप से कवि नलिन विलोचन शर्मा रहे हैं जिन्हें अन्य दो कवियों के साथ केसरी और नरेश नाम के अन्य दो कवियों के साथ सफेद वाद का प्रवर्तक माना जाता है।
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