Hindi, asked by radha7068, 9 months ago

हे पार्थ त्वया चापि मम चापि meaning in hindi​

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Answered by sohilkhan19maypcdgpi
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जगजाहिर है कि चाय की महिमा अपरम्पार है ,चाय के बिना किसी को राय देना भी मुश्किल कार्य लगता है | चाय और चायवाले की कहानी आज हर किसी की जुबानी अनायास प्रस्फुटित होना स्वाभाविक सा हो गया है और ये कोई नई बात नहीं है चाय और राय का अन्योनाश्रय सम्बन्ध युग-युगांतर से चला आ रहा है दुनिया का सबसे बड़ा राय (उपदेश ) जब महाभारत काल में अनंत कोटि ब्रह्माण्ड नायक भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा सर्वश्रेष्ठ योद्धा अर्जुन को दिया जा रहा था जिसे "गीता-उपदेश" कहा गया है ......महाभारत का युद्ध बिगुल बज चुका था,कुरुक्षेत्र योद्धाओं से सज चुका था,बस युद्ध शुरू ही होने वाला था....अनायास अर्जुन का मन युद्ध से विरक्त हो गया और युद्ध न करने का विचार मन में आने लगा तभी भगवान श्रीकृष्ण को गीता उपदेश देना पड़ा अर्थात अर्जुन को राय देनी पड़ी,...अनेकों प्रकार से अर्जुन को समझाया-बुझाया परन्तु अर्जुन उनकी राय को मान ही नहीं रहे थे तब भगवान कृष्ण को राय देने हेतु चाय का सहारा लेना पड़ा था और उन्होंने कहा .. हे पार्थ ! त्वया चापि मम चापि | - अर्थात - हे धनुर्धारी मूढमति अर्जुन अब मैं तुम्हे राय देने में असमर्थ हूँ आओं अब तुम भी चाय पी लो , मैं भी चाय पीता हूँ .....फिर युद्ध और उपदेश की बात करेंगे |

तो प्रस्तुत प्रसंग से हम प्राणी मात्र को यह सीख मिलती है कि चाय के साथ  राय हमें समय समय पर लेते रहना चाहिए |और किसी भी चाय विक्रेता को कभी नीचा नहीं आंकना चाहिए वो देश के सर्वोच्च पद तक भी पहुँच सकता है |

तो आइए हमसब मिलकर चाय के व्यव्हार है चायपानोत्पन्न चाय के चमत्कार को साष्टांग नमस्कार करें और सर्वत्र भगवा रंगीय चाय और चाय प्रेमियों की जयजयकार करें..... ॐ नमों चाय देवता विजयतेतराम........||

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