ह?
प्रश्न 2- मनुष्य दुखों से कैसे मुक्ति पायेगा?
प्रश्न 3- विशेषण का पद परिचय करते समय क्या-क्या बताते हैं? उदाहरण देकर पद परिचय कीजिए।
प्रश्न 4- 'कालवाचक' और 'परिमाण वाचक क्रियाविशेषण में क्या अंतर है? उदाहरण सहित स्पष्ट की
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(2) मनुष्यअपने दुख से नहीं बल्कि पड़ोसी के सुख से ज्यादा दुखी है। इसका कारण है कि मानव की मनोवृत्ति दूषित हो गईं है। आज संस्कारों का अभाव हो गया है। मानव सत्संग से दूर हो गया है। जब तक सत्संग नहीं करेंगे तब तक जीवन में निखार नहीं आएगा। कुछ इस तरह पं. बृजकिशोर शरण ने भक्तों को कर्मों की महत्ता बताई। वह श्री नर्मदेश्वर शिव मंदिर बाबा बुड्डा जी नगर रामामंडी में श्रीमद भागवत कथा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि रामायण मानव को जीने की कला सिखाती है। मनुष्य जन्म से नहीं कर्म से महान बनता है। कलयुग में प्रभु को सत्संग के द्वारा आसानी से पाया जा सकता है। प्रभु भाव के भूखे हैं, भाव से जो भेज तो भव से बेड़ा पार है।
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