Hindi, asked by ayushkashyap9726, 1 year ago

हारे हुए कोबायाशी का जर्जर मन इन दोनों अनुभवों से खीजकर कराह उठा।"" ये दोनों अनुभव कौन से थे?

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Answered by RvChaudharY50
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Answer:

होश में आने के बाद कोबायाशी को मौत के पंजे से छूटकर निकल जाने पर जो अनुभव हुए, वे दोनों ही अनुभव उसे निराश कर देने वाले थे। एक तो मौत से बच जाने पर उसके तन को जीवनदायिनी स्फूर्ति मिलनी चाहिए थी, दूसरी मन को शान्ति मिलनी चाहिए थी, परन्तु इसके विपरीत उसका दिल फिर गफलत में डूबने लगा था। इससे परेशान होकर वह तन और मन की कमजोरी के साथ चिढ़ उठा।

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