‘हारेंहु खेल जितावहिं मोहि, भरत के इस कथन का क्या आशय है ?
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‘हारेंहु खेल जितावहिं मोहि, इस कथन से भरत का आशय यह है कि वह श्री राम के चरित्र उज्जवल पक्ष को उजागर करना चाहते हैं। श्री राम बचपन में तीनों भाइयों के साथ खेल खेलते समय भरत को जिताने हेतु जानबूझकर हार जाते थे। भरत कहना चाहते हैं कि उनके बड़े भ्राता श्री राम बड़े ही दयालु और स्नेही प्रकृति के भाई हैं। वे अपने छोटे भाइयों को खुश रखने हेतु खेल में उनसे जानबूझ कर हार जाते थे ताकि उनके भाई जीतने पर खुश हो सकें। वह विशेषकर भरत से हार जाते और जीतने पर भरत उत्साह पूर्वक खेलते रहे। इस कारण भरत की खेल में जीत होती थी और भरत को खुश देखकर श्रीराम भी बेहद खुश होते थे।
भरत को जब यह बात पता चलती थी तो वह अपने भाई के प्रति असीम श्रद्धा और कृतज्ञता के भाव से भर उठते थे।
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