हँसी बाहरी और भीतरी आनंद का चिहन है । हँसी - खुशी ही का नाम जीवन है । जो रोते है . उनका जीवन व्यर्थ है । कवि कहता है - जिदगी जिंदादिल का नाम है . मुर्दा दिल क्या खाक जिया करते हैं । एक विलायती विदवान ने एक पुस्तक में लिखा है कि उत्तम सुअवसर की हँसी उदास से उदास मनुष्य के चित को प्रफुल्लित कर देती है । आनंद एक ऐसा प्रबल इंजन है कि उससे शोक और । दुःख की दीवारों को दहा सकते हा प्राण रक्षा के लिए सदा सब देशो में उत्तम से उत्तम उपाय । चित्त को प्रसन्न रखना है । हँसी स्वास्थ्य को शुभ संवाद देने वाली है । वह एक साथ शरीर और मन को प्रसन्न कराती है । पाचन शक्ति बढ़ाती है , रक्त को चलाती है और अधिक पसीना लाती हा हसी संजीवनी बूटी का चूरन हा आज की तनाव भरी जिंदगी में यह हर किसी को चाहिए । चिता नरक के समान है , तो हसता हुआ मनुष्य पृथ्वी पर स्वर्ग का सुख पाटा है । हँसाने जैसा पुण्य दुनिया में और कुछ भी नहीं है । इसलिए हँसाने वाले मार्किट की शरण में है । बाजार में लोगों को हंसाने में पूरी ताकत झोक दी है । एस . एस . एस . , जोक्स व धारावाहिक से लेकर फिल्मों तक , रियाल्टी शोज़ से लेकर हास्य कवि सम्मेलनों तक , लोगों को हंसाने के लिए बाज़ार हर तरह का गसाला जुटा रहा है । हँसी की तलाश में जुटे लोग इसका खुले दिल से स्वागत कर रहे हैं । टीवी पर तो हँसी का खजाना ही मौजूद है । वहाँ हर मूड की हँसी है और हर जगह हँसने की तलाश जारी है ।
( क ) हँसते रहने से क्या - क्या लाभ हैं ?
( ख ) आनंद क्या है ? चिंता को किसके समान कहा गया है ?
( ग ) किन लोगों का जीवन व्यर्थ है ? उपसर्ग , मूल शब्द और प्रत्यय अलग करके लिबिए - प्रबल , विलायती ।
( 4 ) आजकी तनाव गरी जिंदगी में सभी को क्या चाहिए ?
5)लोगों को हंसाने के लिए किन - किन चीजो का सहारा लिया जा सकता हैं
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हँसते रहने से क्या - क्या लाभ हैं ?
( ख ) आनंद क्या है ? चिंता को किसके समान कहा गया है ?
( ग ) किन लोगों का जीवन व्यर्थ है ? उपसर्ग , मूल शब्द और प्रत्यय अलग करके लिबिए - प्रबल , विलायती ।
( 4 ) आजकी तनाव गरी जिंदगी में सभी को क्या चाहिए ?
5)लोगों को हंसाने के लिए किन - किन चीजो का सहारा लिया जा सकता हैं
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