हँसिए नहीं हहाय, बात पूछे ते कहिए'- पंक्ति द्वारा कवि क्या स्पष्ट करना चाहते हैं ?
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प्रसंग:- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी में से ली गई है इसमें कभी है बता रहे हैं कि आदमी को हर वक़्त हंसना नहीं चाहिए
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