हिंसा और अहिंसा में अंतर बताइए
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हिंसा में व्यक्ति पाप जिसे कामों का प्रयोग करता है और अहिंसा धारी गति अपने कर्म सत्य निष्ठा के ऊपर अपना जीवन बिताता है
हिंसा और अहिंसा में अंतर
हिंसा और अहिंसा में बहुत बड़ा अंतर है। हिंसा नकारात्मकता का प्रतीक है, तो अहिंसा सकारात्मकता का प्रतीक है। हिंसा बुराई का प्रतीक है तो अहिंसा अच्छाई का प्रतीक है। हिंसा किसी जीव के जीने के मूल अधिकारों का हनन है तो अहिंसा उस जीवन के प्रति दया भाव की भावना है।
हिंसा से तात्पर्य उस कार्य से है जिससे किसी प्राणी को शारीरिक या मानसिक क्षति पहुंचती है। जिससे उस प्राणी के मन में भय उत्पन्न होता हो, उसे दुख होता हो। उसके प्राणों को संकट होता हो। उसके शरीर को या उसके मन को कोई हानि पहुंचती हो। हिंसा किसी एक प्राणी द्वारा दूसरे प्राणी के प्रति किया गया एक अत्याचार व अन्याय रूपी कृत्य है, जो अक्सर एक ताकतवर प्राणी द्वारा दूसरे कमजोर प्राणी पर किया जाता है। लेकिन ये जरूर नही कि हिंसा केवल एक ताकतवर प्राणी ही कमजोर प्राणी पर करता है, दो समान स्थिति वाले प्राणी भी आपस में हिंसात्मक कार्य कर सकते हैं।
अहिंसा इंसान दया से प्रेरित एक कार्य है, जिसमें सब के प्रति प्रेम भाव और स्नेह की भावना होती है। अहिंसा उस कृत्य को कहते हैं जब किसी को मानसिक या शारीरिक रूप से किसी भी तरह की हानि ना पहुंचाई जाए और सबके प्रति प्रेमभाव रखा जाए। सबके प्रति समानता का भाव रखा जाए। सबके कल्याण की कामना की जाये।
मानव में हिंसा और अहिंसा दोनों तरह की भावनाएं होती हैं। मानव ही नही संसार के हर प्राणी में हिंसात्मक और अहिंसात्मक दोनो तरह की प्रवृत्तियां होती हैं।