हास्य अलंकार का का एक उदाहरण लिखो
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हास्य रस के उदाहरण
(1) काहू न लखा सो चरित विशेखा । जो सरूप नृप कन्या देखा ।
मरकट बदन भयंकर देही। देखत हृदय क्रोध भा तेही ॥
जेहि दिसि बैठे नारद फूली। सो दिसि तेहि न बिलोकी भूली ॥
पुनि-पुनि उकसहिं अरु अकुलाही। देखि दसा हर-गन मुसुकाही ॥
स्पष्टीकरण-
इस पद्य में हास्य रस है।
- स्थायी भाव – हास
- आश्रय – शिव के गण
- आलम्बन – वानर की आकृति में नारद
- अनुभाव – नारद को देखना, मुस्कराना, ऊपर को उचकना आदि।
- व्यभिचारी भाव – हर्ष
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Don't know sorry......................
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