हास्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
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किसी व्यक्ति की विचित्र वेशभूषा,अनोखी बातों और असाधारण आकृति से हृदय मे जो विनोद भाव जाग्रत होता है,उसे हास कहते है।यही हास जब विभाव,अनुभाव और संचारी भाव से पुस्ट होता है तो हास्य रस की ऊत्पत्ती होती है।
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किसी व्यक्ति या वस्तु का विचित्र आकार अजीव ढंग की वेशभूषा बातचीत और ऊटपटांग आभुषणों आदि को देखकर हृदय में जो विनोद भाव उत्पन हो जाता है, उसे हास्य रस कहते हैं।
उदाहरण:-मतहिं पितहिं उरिन भये नीके।
गुरु ऋण रहा सोच बड़ जी के।।
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