Hindi, asked by viveksinghusia2005, 9 months ago


हास्य रस का स्थाई भाव है 

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Answered by lifekiller05
13

Answer:

हास्य रस का स्थायी भाव हास है। 'साहित्यदर्पण' में कहा गया है - "बागादिवैकृतैश्चेतोविकासो हास इष्यते", अर्थात वाणी, रूप आदि के विकारों को देखकर चित्त का विकसित होना 'हास' कहा जाता है।

Answered by neharicagupta2006
4

Answer:

ष् दं नासा पो

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