है टूट पड़ा भू पर अंबर, पंक्ति का क्या आशय है? *
धरती पर आकाश का गिर जाना।
धरती द्वारा आकाश को थाम लेना।
अचानक जोरदार वर्षा होना।
वर्षा होने पर भी अकाल पड़ जाना।
Answers
है टूट पड़ा भू पर अंबर, पंक्ति का क्या आशय है?
यह पंक्तियाँ पर्वत प्रदेश में पावस कविता से ली गई है | यह कविता सुमित्रानंदन पंत द्वारा लिखी गई है |
है टूट पड़ा भू पर अंबर, पंक्ति का क्या आशय यह है कि अचानक से बादल में चारों तरफ अस्ख्यं बादल छा जाते है | बादल धरती को छूने लगते है | चारों तरफ कुछ भी दिखाई नहीं देता है | बारिश की जोर-जोर से आवाज आने लगती है | अचानक से झरने बहने लगते है |ऐसा लगता है जैसे आकाश पृथ्वी आ गया हो |
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ ▬▬ ▬▬
संबंधित कुछ अन्य प्रश्न...►
https://brainly.in/question/18617553
पर्वत प्रदेश में पावस'' कविता का सारांश 70-80 शब्दों में लिखिए।
Answer:
‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में ‘है टूट पड़ा भू पर अंबर!’ पंक्ति द्वारा कवि वर्षा के विकराल रूप को दिखाना चाहता है। कवि कहता है कि वर्षा इतनी तेज गति से हो रही है, मानो धरती पर आकाश टूट पड़ा हो। कवि ने इस पंक्ति के द्वारा पर्वतीय इलाके में वर्षा के बाद होने वाले स्वर को दिखाने का सफल प्रयास किया है।
Please mark my answer as brainliest