हिंदी लोकभारती - नमूना कृतिपत्रिका ।
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Hindi
PMGAR
(2) गद्य आकलन - प्रश्न निर्मिति ।
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर ऐसे चार प्रश्न तैयार कीजिए, जिनके उत्तर गद्यांश में एक-एक वाक्य में हों।
दक्षिण और पश्चिमी भारत में स्वैच्छिक संस्थाओं द्वारा समाज सेवा की एक पुरानी परंपरा है । सादा जीवन, उच्च
विचार और कठिन परिश्रम । इस परंपरा में अनेक स्वैच्छिक संस्थाएँ विकसित हुई हैं । उनमें से कुछ संस्थाएँ पर्यावरण
की सुरक्षा में भी काम कर रही है । इन संस्थाओं को काफ़ी पढ़े-लिखे लोगों, वैज्ञानिकों और शिक्षकों का सामयिक
सहयोग मिलता रहता है । अभाग्यवश अनेक स्वैच्छिक संस्थाएँ दलगत राजनीति में अधिक विश्वास करती हैं और उनके
आधार पर सरकारी सहायता लेने का प्रयास करती हैं । पर्वतीय क्षेत्र में सादगी की अभी यही व्यवस्था चलती है और
इसलिए 'चिपको आदोलन बहुत हद तक सफल हुआ है । 'गाँधी शांति प्रतिष्ठान' तथा कुछ गांधीवादी संगठनों ने भी
सविता में प्रशसनीय कार्य किया है । सरला बहन ने अल्मोड़ा में इस काम की शुरूआत तब दी थी जबकि पयावरण
के प्रति लोगों में जागरूकता नहीं थी । श्री प्रेमभाई और डॉ. रागिनी प्रेम ने मिर्जापुर में पर्यावरण पर प्रशंसनीय काम किया
.
Answers
Explanation:
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर ऐसे चार प्रश्न तैयार कीजिए, जिनके उत्तर गद्यांश में एक-एक वाक्य में हों।
दक्षिण और पश्चिमी भारत में स्वैच्छिक संस्थाओं द्वारा समाज सेवा की एक पुरानी परंपरा है । सादा जीवन, उच्च
विचार और कठिन परिश्रम । इस परंपरा में अनेक स्वैच्छिक संस्थाएँ विकसित हुई हैं । उनमें से कुछ संस्थाएँ पर्यावरण
की सुरक्षा में भी काम कर रही है । इन संस्थाओं को काफ़ी पढ़े-लिखे लोगों, वैज्ञानिकों और शिक्षकों का सामयिक
सहयोग मिलता रहता है । अभाग्यवश अनेक स्वैच्छिक संस्थाएँ दलगत राजनीति में अधिक विश्वास करती हैं और उनके
आधार पर सरकारी सहायता लेने का प्रयास करती हैं । पर्वतीय क्षेत्र में सादगी की अभी यही व्यवस्था चलती है और
इसलिए 'चिपको आदोलन बहुत हद तक सफल हुआ है । 'गाँधी शांति प्रतिष्ठान' तथा कुछ गांधीवादी संगठनों ने भी
सविता में प्रशसनीय कार्य किया है । सरला बहन ने अल्मोड़ा में इस काम की शुरूआत तब दी थी जबकि पयावरण
के प्रति लोगों में जागरूकता नहीं थी । श्री प्रेमभाई और डॉ. रागिनी प्रेम ने मिर्जापुर में पर्यावरण पर प्रशंसनीय काम किया
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सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में परिवर्तन: प्राथमिक विद्यालय में सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में सुधारों का नेतृत्व करना
यह इकाई किस बारे में है
इस इकाई से आपको अपने शिक्षकों के कार्याभ्यास को विकसित करने में सहयोग देने तथा अपने विद्यालय में शिक्षण से संबन्धित बदलाव लाने में मदद मिलेगी।
इस विषय पर काफी कुछ लिखा जा चुका है – और ‘गतिविधि आधारित सीखने की प्रक्रिया’ एवं ‘बालक-केंद्रित सीखने की प्रक्रिया’ आदि विषयों पर प्रशिक्षण आयोजित किए जा चुके हैं – पर इसे आप अपने विद्यालय में वास्तव में अमल में कैसे ला सकते हैं? इस इकाई में इस बात के क्रियात्मक उदाहरण दिए गए हैं कि अपने विद्यार्थियों के सीखने संबंधी परिणामों को बेहतर बनाने के लिए के शिक्षकों के पाठों को अधिक सहभागितापूर्ण बनाने हेतु उनके साथ TESS-INDIA मुक्त शैक्षिक संसाधनों (ओईआर) का उपयोग कैसे करना है।
यह इकाई आपको एक बदलाव परियोजना के बारे में मार्गदर्शन देती है जो एक सत्र (लगभग 12 सप्ताह) तक चलेगी। इसमें आप अपने विद्यालय में शिक्षण से संबन्धित बदलाव पर ध्यान देंगे। आपको अपने शिक्षकों के कक्षा कार्याभ्यासों के किसी ऐसे पहलू को पहचानने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा जिसे आप बदलना चाहते हों। इसमें आपके लिए विद्यालय में करने की गतिविधियां और केस स्टडी दिए गए हैं जो क्रियान्वयन के उदाहरण प्रदान करते हैं।
शुरूआत करने से पहले आपको पूरी इकाई पढ़ लेनी चाहिए, और फिर गतिविधियों को जिस क्रम में दिया गया है उस क्रम में करें, और सत्र में आगे बढ़ने के साथ-साथ अपनी योजनाओं, कार्यों और प्रतिफलों के रिकॉर्ड रखते जाएं।
सीखने की डायरी
इस इकाई में काम करते समय आपसे अपनी सीखने की डायरी में नोट्स बनाने को कहा जाएगा। यह डायरी एक किताब या फोल्ड
Answer:
this is correct answer above picture I have been send this image