हिंदू - मुस्लिम एकता पर अपने विचार वयक्त कीजये
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सदियों से लड्ती आई हिंदुस्तान की दो मुख्य कौमे क्या कभी एक हो सकती हैं इसपर ना कभी किसी राजनीतिक दल ने गम्भीरता से विचार किया और ना ही सामाजिक, धार्मिक संगठनो ने बल्कि राजनीतिक दलों पर ये आरोप लगते रहे हैं की ये दल दोनो कौमों को एक होने ही नही देना चाहते जो काफी हद तक सही भी है, किंतु दोनो ही कौमो के धर्मगुरु और धार्मिक संगठनो ने अगर दृढ इच्छाशक्ति से प्रयास किया होता तो सायद अभी तक दोनो कौमो के बीच के सारे मतभेद सुलझ गये होते।
मुस्लिम अपने आपको अरबी संस्कृति से जोड्कर देखता है जो हिंदू संगठनो को मंजूर नही क्योंकि इनका मानना है की ये वही संस्कृति है जिसकी बदौलत उसके पूर्वजो पर घोर अत्याचार हुये थे और उनपर जबरन इसे लादा गया था जबकि हिंदुस्तानी मुसलमान उसी अरबी संस्कृति के लिये न सिर्फ लडता है बल्कि जान देने पर तैयार रहता है, जबकी अरबी लोग इन्हे आज भी वो सम्मान नही देते जो देना चाहिये था क्योकि इस्लाम के प्रचार प्रसार मे भारतीय और पाकिस्तानी मुस्लिमो का योगदान उल्लेखनीय है।