हिंदी तथा क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्में अक्सर ग्रामीण परिवेश में होती हैं। ग्रामीण भारत पर आधारित किसी फ़िल्म के बारे में सोचिए तथा उसमें दर्शाए गए कृषक समाज और संस्कृति का वर्णन कीजिए। उसमें दिखाए गए दृश्य कितने वास्तविक हैं? क्या आपने हाल में ग्रामीण क्षेत्र पर आधारित कोई फ़िल्म देखी है? यदि नहीं तो आप इसकी व्याख्या किस प्रकार करेंगे?
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Answer: भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण भूगोल और सिन्धु घाटी की सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग में विकसित हुई, भारत में "कोया संस्कृति" स्वर्ण युग फली-फूली अपनी खुद की प्राचीन गोंडवाना विरासत शामिल हैं। इसके साथ ही पड़ोसी देशों के रिवाज़, परम्पराओं और विचारों का भी इसमें समावेश नहीं है। खुद के भाषा,बोली,लिपि, तीज, त्यौहार, नृत्य,गीत,इतिहास पिछली सहस्राब्दियों से अधिक समय से भारत के रीति-रिवाज़, भाषाएँ, प्रथाएँ और परंपराएँ इसके एक-दूसरे से परस्पर संबंधों में महान विविधताओं का एक अद्वितीय उदाहरण देती हैं। भारत कई धार्मिक प्रणालियों, जैसे कि हिन्दू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म जैसे धर्मों का जनक है। इस मिश्रण से भारत में उत्पन्न हुए विभिन्न धर्म और परम्पराओं ने विश्व के अलग-अलग हिस्सों को भी बहुत प्रभावित किया है।
गोंडवाना समुदाय विश्व का सबसे प्राचीन समुदाय में से एक है,प्रथ्वी के शुरुवाती दौर में गोंडवाना लैंड और लॉरेशिया भू भाग के बारे में हम भली भांति परिचित है। इस गोंडवाना भू भाग की कोया संस्कृति जो गोंडी धर्म(प्रकृतिवादी,प्रकृति पूजक)को मानने वाले गोंड जनजाति के लोग निवास करते हैं,आज भी भारत में इस संस्कृति को व्यां करने वाले चिन्ह "गज पर सवार सिंह", "सल्ले गांगरा" "गोंडवाना राज्य चिन्ह" मौजूद है।
Explanation:
वैसे तो बॉलीवुड में कई सारे फिल्म ग्रामीण अवस्थाओं के ऊपर आधार करके बनाई गईं हैं, परंतु उन फिल्मों में से मुझे एक फिल्म की याद आ रही हैं जिसका नाम “स्वदेश” हैं। 2004 में रिलीज हुए इस फिल्म में शाहरुख खान प्रमुख भूमिका हैं। इस फिल्म के तहत अमेरिकी अंतरिक्ष संस्थान नासा में काम करने के बाद इन्हें अपने प्यारे देश भारत की याद आती हैं और वह इसके वजह से अपने देश-आने गाँव की और चल पड़ते हैं।
फिल्म के बाकी के हिस्से में पाया गया है की, जब वह अपने गाँव में आते हैं तो देखते है की, वहाँ पर पानी की घोर कमी हैं। बाद में पानी के इसी समस्या को दूर करने के लिए वह अपने बुद्धि से एक तकनीक को बनाते हैं जिससे गाँव में पानी की कमी को दूर किया जाता हैं।
तो, अगर आप आज ज़्यादातर भारत के ग्रामीण इलाकों में देखें तो आपको पता चलेगा की फिल्म के भांति ही कई गाँव में पानी की कमी हैं। इससे कृषि कार्य भी नहीं हो पा रहा हैं। तो, आप अंदाजा लगा सकते हैं की वास्तविक ग्रामीण जीवन के ऊपर भी कई सारे फिल्म बनी हुई हैं।