Biology, asked by pragyabaid4416, 10 months ago

हृदय सिंधु मति सीप समाना।• स्वाति सारदा कहहिं सुजाना।| जो बरषइ बर बारि विचारू।| होंहि कवित मुक्तामनि चारू।।- तुलसीदास का भावार्थ​

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Answered by akilap79288
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Explanation:

हृदय सिंधु मति सीप समाना। स्वाति सारदा कहहिं सुजाना॥4॥ अर्थ:-संसारी मनुष्यों का गुणगान करने से सरस्वतीजी सिर धुनकर पछताने लगती हैं (कि मैं क्यों इसके बुलाने पर आई)। बुद्धिमान लोग हृदय को समुद्र, बुद्धि को सीप और सरस्वती को स्वाति नक्षत्र के समान कहते हैं

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