Hindi, asked by vrdahaghane, 1 day ago

हल की तरह कुदाल की तरह या खुरपी की तरह पकड़ भी लूं कलम तो फिर भी फसल काटने मिलेगी नहीं हम को।

हम तो ज़मीन ही तैयार कर पायेंगे क्रांतिबीज बोने कुछ बिरले ही आयेंगे हरा-भरा वही करेंगें मेरे श्रम को सिलसिला मिलेगा आगे मेरे क्रम को ।

कल जो भी फसल उगेगी, लहलहाएगी मेरे ना रहने पर भी हवा से इठलाएगी तब मेरी आत्मा सुनहरी धूप बन बरसेगी जिन्होने बीज बोए थे उन्हीं के चरण परसेगी काटेंगे उसे जो फिर वो ही उसे बोएंगे हम तो कहीं धरती के नीचे दबे सोयेंगे।

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Answered by itsmisha10
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Explanation:

हल की तरह कुदाल की तरह या खुरपी की तरह पकड़ भी लूं कलम तो फिर भी फसल काटने मिलेगी नहीं हम को।

हल की तरह कुदाल की तरह या खुरपी की तरह पकड़ भी लूं कलम तो फिर भी फसल काटने मिलेगी नहीं हम को।हम तो ज़मीन ही तैयार कर पायेंगे क्रांतिबीज बोने कुछ बिरले ही आयेंगे हरा-भरा वही करेंगें मेरे श्रम को सिलसिला मिलेगा आगे मेरे क्रम को ।

हल की तरह कुदाल की तरह या खुरपी की तरह पकड़ भी लूं कलम तो फिर भी फसल काटने मिलेगी नहीं हम को।हम तो ज़मीन ही तैयार कर पायेंगे क्रांतिबीज बोने कुछ बिरले ही आयेंगे हरा-भरा वही करेंगें मेरे श्रम को सिलसिला मिलेगा आगे मेरे क्रम को ।कल जो भी फसल उगेगी, लहलहाएगी मेरे ना रहने पर भी हवा से इठलाएगी तब मेरी आत्मा सुनहरी धूप बन बरसेगी जिन्होने बीज बोए थे उन्हीं के चरण परसेगी काटेंगे उसे जो फिर वो ही उसे बोएंगे हम तो कहीं धरती के नीचे दबे सोयेंगे।

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