Haldar Sahab Hamesha chaurahe par ruk kar Neta Ji ki Murti ko kya Nihar Te Rehte the
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पाठ : नेताजी का चश्मा
लेखक : स्वयं प्रकाश
उत्तर :- प्रस्तुत पाठ ' नेताजी का चश्मा ' में
लेखक ने बताया है कि , हालदार साहब हमेशा
चौराहे पर रुक कर , नेताजी की मूर्ति को
निहारते थे ।
वह ऐसा इसलिए करते थे, क्योंकि उनको नेताजी के मूर्ति पर लगे चश्में को देखना होता
था।
वह हर दिन नेता की के मूर्ति पर अलग -
अलग चश्मा देखकर , मन ही मन सोच में पड़
जाते थे । वह सोचते थे कि ,ऐसा कौन करता
होगा। जरूर कोई बड़ा देशभक्त होगा। या
कोई , नेताजी के पुराने दोस्त ।
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Answer:
हालदार साहब का चौराहे पर रुक कर नेता जी की मूर्ति को निहारने से यह पता चलता है कि उनके मन में देश के नेताओं के प्रति आदर और सम्मान की भावना थी। नेता जी की मूर्ति उन्हें देश के निर्माण में सहयोग देने के लिए प्रेरित करती थी।
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