History, asked by surekhapatil1104, 9 months ago

.............. हलक्या कानाचा व घरसोड वृत्तीचा होता. ​

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Answered by Anonymous
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काही समजत नाही काय चाललंय

Answered by kales
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I think so this help all

Explanation:

कान का मैल कुछ उन शारीरिक पदार्थों में से एक है जिसकी चर्चा करना अमूमन हम पसंद नहीं करते हैं.

शरीर के अन्य स्रावों की तरह, हम में से ज़्यादातर अकेले में इससे निपटना पसंद करते हैं. तब भी कई लोगों के लिए यह एक आकर्षण का विषय है.

पहले इसका इस्तेमाल एक लिप बाम और ज़ख़्मों पर मरहम के तौर पर किया जाता था

लेकिन यह इससे कुछ ज़्यादा कर सकता है. हाल के शोध से पता चलता है कि यह शरीर में प्रदूषक पदार्थ इकट्ठा होने का संकेत देता है और इससे शरीर में कुछ बीमारियों का भी पता लगाया जा सकता है.

कान के मैल से जुड़ी पाँच चीजें जो शायद आप ना जानते हो.

1. ये बाहर कैसे आता है?

कान के अंदर की कोशिकाएँ विशेष तरह की होती है. वे एक जगह से दूसरे जगह तक जाती है.

लंदन के रॉयल नेशनल अस्पताल में गला, नाक और कान के प्रोफेसर शकील सईद के मुताबिक़ " आप कान में स्याही की एक बूंद डाल कर देखिए, कुछ हफ़्तों के बाद पाएंगे कि कोशिकाओं के साथ ये बाहर आ रही है."

यदि ऐसा नहीं होता है तो कान का छेद प्राकृतिक प्रक्रिया से बनी मृत कोशिकाओं से भर जाएगा.

कान का मैल

इसी तरह से कान का मैल भी आगे बढ़ता है. ऐसा माना जाता है कि खाने-पीने के दौरान जबड़े के हिलने से भी ये मैल बाहर आता है.

प्रोफेसर सईद ने पाया है कि उम्र बढ़ने के साथ कभी-कभी यह मैल ज़्यादा काला हो जाता है और जिन लोगों के कान में बाल ज़्यादा होते हैं उनके कान से मैल बाहर नहीं आ पाता है.

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