Ham Panchi Unmukt Gagan Ke Kavita ka Pratibadh likha
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शिवमंगल सिंह 'सुमन' मशहूर रचना: हम पंछी उन्मुक्त गगन के
पुलकित पंख टूट जाएंगे। तरु की फुनगी पर के झूले। चुगते तारक-अनार के दाने। या तनती साँसों की डोरी।
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