Ham taare ki sathiti kaon nehi dekh patte
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सूर्य हमारा निकटतम तारा है, जिसका हम बहुत अच्छी तरह अध्ययन कर सकते हैं। तारों के तत्वों के अध्ययन से हमें अधिकांश तारे ऐसे उपलब्ध होते है, जिनका जन्म लगभग उसी समय हुआ जिस समय हमारे सूर्य का। ये तारे ताप, आकार तथा कांति के अवरोह अनुक्रम में हैं। इस वर्ग को मुख्य अनुक्रम (main sequence) कहते हैं। इसमें अत्याधिक ताप के तारों का आकार सूर्य के आकार से लगभग 10 गुना तथा निम्न ताप के तारों का आकार सूर्य के आकार से लगभग 10 गुना तथा निम्न ताप के तारों का आकार सूर्य के आकार का लगभग दशमांश होगा। सूर्य इसी अनुक्रम का एक मझोले आकार का तारा है, जिसकी द्रव्यमात्रा तथा ताप औसत से कम है। मुख्य अनुक्रम के वक्र में ऊपर (अधिक ताप के छोर) की ओर तारे अत्यंत विरल हैं। इस अनुक्रम के अधिकांश तारे सूर्य से छोटे तथा कम ताप के हैं। इनमें उपलब्ध तत्वों की मात्रा सूर्य जैसी है। सूर्य के अध्ययन से हम इस वर्ग के अतिरिक्त तारों के दो और मुख्य वर्ग है: दानवाकार तारों के तीन मुख्य भेद हैं। दानवाकार (giants), तथा वामनाकार (dwarfs) तारे। दानवाकार तारों के तीन मुख्य भेद - दानवकार, अति दानवाकार (supergiants) तथा उपदानवाकार (subgiants)। अतिदानवाकार तारे आकार में बहुत विशाल होते हैं। उदाहरणार्थ, ज्येष्ठा (Antares) का व्यास सूर्य के व्यास का लगभग 300 गुना है। दानवाकार तारों में खगाश्व के द्वितीय बीटा पिगासी (Beta-pegasi) का व्यास सूर्य के व्यास से 170 गुना तथा ब्रह्महृदय (Capella) का, सूर्य के व्यास से, 12 गुना है। उपदानवाकार तारे मुख्य अनुक्रम तथा दानव वर्ग के तारां के बीच स्थित हैं। वामनाकार तारों के भी वामन, उपवामन (Subdwarfs), लालरंग वामन (Red dwarfs) तथा श्वेत-वामन (White dwarfs) भेद हैं। इन वर्गों में श्वेत वामनाकार तारे अपना विशेष महत्व रखते हैं। इनकी विशेषता यह है कि इनकी द्रव्यमात्रा मध्य श्रेणी की तथा कांति कम होती है, किंतु इनका आकार बहुत छोटा तथा इनका घनत्व अत्यंत अधिक होता है।