हम भाइयों के बीच पुल बनी थी माँ जिसमें आए दिन दौड़ती रहती थी बेधड़क बिना किसी हरी लाल बत्ती के हम लोगों की छुक छुक छक छक
पिता के बाद हम भाइयों के बीच पुल बनी माँ अचानक नहीं टूटी धीरे-धीरे टूटती रही हम देखते रहे और मानते रहे कि बुढ़ा रही है माँ
माँ के बार-बार कहने को हम मानकर चलते रहे उसके बूढ़े होने की आदत और अपनी हर आवाज़ में धीरे-धीरे टूटती रही माँ
can anyone write this poem's meaning in hindi please
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इसका तातपर्य है कि आज के युग मे माँ अपने बेटों के बीच मे रहकर उनकादिनभर कार्य करती ,, किसी एक का कार्य न करने पर वो नाराज या दूसरा नाराज ,, उनके बेटो को कुछ कहना यह लगताहै माँ बूढ़ी हो गई हैं और माँ उनके बीच सामंजस्य बिठाते बिठाते कुछ टूट गई है ।।,,, शायद कुछ तो समझ मे आया होगा
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