हम है शिव-प्रताप, रोटियाँ
भले घास की खाएँगे
मगर किसी जुल्मी के आगे,
मस्तक नहीं झुकाएँगे
इस पद्यांश का मूल भाव लिखिए
in hindi
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इस स्पर्धा का मूल भाव यही है कि महाराणा प्रताप कहना चाह रहे हैं कि हम भले ही घास की रोटियां खाएंगे लेकिन मुस्लिमों या मुगलों का जुल्म कभी नहीं सहेंगे और हम भले ही कितने ही क्यों ना गिर जाए या कितने ही क्यों न झुक जाए लेकिन हम इस जुल्म को नहीं सकते हमें चाहे कितनी भी मुश्किलें आएंगी लेकिन हमें ऐसे जुल्म को नहीं सहेंगे
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