हमें ज्ञान के साथ-साथ अपने व्यवहार और चरित्र को भी श्रेष्ठ बनाना
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चाहिए बल्कि उन कमियों को दूर
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व्यवहार की कसौटी पर खरा उतरकर ही ज्ञान उपयोगी होता है।
धन आवश्यकता के अनुसार ही अच्छा होता है। उससे अधिक होने पर
पालने की अपेक्षा दान देना बेहतर है।
ज्ञान की बातें करना वहीं अच्छा होता है, जहाँ उनको सुनने-समझने व
प्रेम और शत्रुता के भाव छिपाए नहीं जा सकते।
निरंतर अभ्यास से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है और वह ज्ञानी
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आँखों से मनुष्य के मन के भावों का पता चल जाता है।
दोहा छंद में 13.11.13. 11 मात्राओं की यति के साथ चार चरण हो
दूसरे और चौथे चरण के तुक समान होते हैं।
वीर टीमऔरत
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