Political Science, asked by simranharidwaria, 1 month ago

हमें किन परिस्थितियों में कानून के संरक्षण की आवश्यकता है​

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Answered by eviln7
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Answer:

भारतीय संविधान के भाग ३ में मौलिक अधिकारों के तहत अनुच्छेद १४ के अंतर्गत विधि के समक्ष समता एवं विधियों के समान संरक्षण का उपबंध किया गया है। संविधान का यह अनुच्छेद भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर भारतीय नागरिकों एवं विदेशी दोनों के लिये समान व्यवहार का उपबंध करता है।

‘कानून के समक्ष समानता’ (equality before law) का मूल ब्रिटिश व्यवस्था में निहित है। यह अवधारणा किसी भी व्यक्ति के पक्ष में विशेषाधिकार के अभाव को दर्शाता है। इसका तात्पर्य देश के अंतर्गत सभी न्यायालयों द्वारा प्रशासित कानून के सामने सभी व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार किया जाएगा, चाहे व्यक्ति अमीर हो या गरीब, सरकारी अधिकारी हो या कोई गैर-सरकारी व्यक्ति, कानून से कोई भी ऊपर नहीं है।

‘कानून का समान संरक्षण’ (Equal Protection of Laws) अमेरिकी संविधान से प्रेरित है। इसका तात्पर्य कानून द्वारा प्रदत्त विशेषाधिकारों और दायित्वों के संदर्भ में समान परिस्थितियों में समान व्यवहार और सभी व्यक्तियों के लिये एक ही तरह के कानून का एक जैसे अनुप्रयोग से है।

इस तरह यह कहा जा सकता है कि ‘कानून के समक्ष समानता’ एक नकारात्मक अवधारणा है जबकि ‘कानून के समान संरक्षण’ सकारात्मक है। हालाँकि दोनों ही अवधारणाओं का उदेश्य कानून और न्याय की समानता सुनिश्चित करना है।

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Explanation:

कुछ अत्यंत जोखिम स्थितियां जिनसे बच्चों को संरक्षण प्रदान किए जाने की आवश्यकता है, वे हैं – बाल श्रम, बाल विवाह, बाल अवैध व्यापार, बाल यौन उत्पीड़न, शारीरिक दंड, उपेक्षा और परित्याग कानून का उल्लंघन करने के लिए बच्चों का तिरस्कार तथा उनका शोषण अथवा उनके परिवार की बड़े लोगों द्वारा किए गए अपराधों के लिए उत्पीड़न अथवा ...

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