हम कैसे तराने में गायेंगे?
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In which type of tune we will sing?
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हम अपनी मुफलिसी की जांते चलाए
हाथों से खून तक रिसाए
इस उम्मीद में कि
कभी तो खुशियों के दाने बाहर निकलेंगे
चेहरे पर तबस्सुम खिलेंगे,
कुछ नए तराने गाएंगे
कुछ नए सपने सजाएंगे
तब खुशियां ख़्वाब थीं
और मुस्कुराहट ही आफ़ताब थी
धीरे - धीरे दाने बाहर आए
होठ देख लिए इनको
और नैन मुस्कुराए
तब हमने लिए कटोरे
और एक - एक दाने बटोरे
मन में नए कोंपलें फूट पड़े
अब पांव जमीन से उठ पड़े
यह हर्ष का पहला फव्वारा था
छूने को आतुर थे दूर क्षितिज को
अब जो पूरा आसमां हमारा था
नए पौधे लगाए,नई कलियां खिलायीं
उल्लास की ढेर सारी तितलियां उड़ाईं
अचानक आज वक्त ने एक झपट्टा मारा
एक भी दाने नहीं रहे अब
फिर से मैं गर्त में जा गिरा
अधर से मुस्कराहट गायब हो गई
और फिर से खुशियां ख़्वाब हो गई
पर अब मन निराश नहीं है
पहले जैसे दुख का एहसास नहीं है
हमने देख लिया अब
कि ये जिंदगी कभी हंसती है
तो कभी रोती है
सुख और दुख,
दोनों की एक सीमा होती है
- हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है।