हमे क्या करना चाहिए जब हम छोटी छोटी बाते भूलने लगते है
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Pista badam roj subha Lena
maahi248:
excuse me sir, अगर किसी problem की वजह से हम भूल रहे है तो?
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आपने बचपन से कई बार सुना होगा कि 'Apple a day keeps doctor away'. लेकिन हालिया अध्ययन की रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि रोजाना एक संतरा खाने से दिमागी ताकत बढ़ सकती है. शोधकर्ताओं का दावा है कि रोजाना एक संतरा खाने से बुढ़ाने में भूलने की बीमारी होने का खतरा एक तीहाई कम हो जाता है.
अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार संतरा बुढ़ापे में होने वाली डिमेंशिया जैसी खतरनाक बीमारी से बचाव में कारगर है. यह अध्ययन जापान के Tohuku University के शोधकर्ताओं ने किया है.
अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार संतरा में सिट्रिक एसिड होता है, जिसमें नाबाइटिन नाम का रसायन होता है, जो याददाश्त को कमजोर व प्रभावित करने वाले कारकों को खत्म कर देता है.
अध्ययन में यह साबित किया गया है कि जिन वजहों से मस्तष्क को नुकसान पहुंचता है और जिसकी वजह से डिमेंशिया या अल्जाइमर जैसी बीमारी होती है, खट्टे फल यानी सिट्रस फल उसी का खात्मा करते हैं.
पशुओं पर किए गए परीक्षण में यह बात सामने आई कि साइट्रिक एसिड में पाया जाने वाले रासायनिक नाबाइटिन स्मृति को धीमा नहीं होने देता.
वैज्ञानिकों ने 13,000 से अधिक मध्यम आयु वर्ग के व बुजुर्ग पुरुषों और महिलाओं को कई सालों के लिए ट्रैक किया और पाया कि रोजाना खट्टे फलों का सेवन करने वाले लोगों में डिमेंशिया विकसित होने का खतरा ऐसे लोगों की तुलना में 23 प्रतिशत कम है, जो सप्ताह में दो से भी कम दिन खट्टे फल खाते हैं.
अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार संतरा बुढ़ापे में होने वाली डिमेंशिया जैसी खतरनाक बीमारी से बचाव में कारगर है. यह अध्ययन जापान के Tohuku University के शोधकर्ताओं ने किया है.
अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार संतरा में सिट्रिक एसिड होता है, जिसमें नाबाइटिन नाम का रसायन होता है, जो याददाश्त को कमजोर व प्रभावित करने वाले कारकों को खत्म कर देता है.
अध्ययन में यह साबित किया गया है कि जिन वजहों से मस्तष्क को नुकसान पहुंचता है और जिसकी वजह से डिमेंशिया या अल्जाइमर जैसी बीमारी होती है, खट्टे फल यानी सिट्रस फल उसी का खात्मा करते हैं.
पशुओं पर किए गए परीक्षण में यह बात सामने आई कि साइट्रिक एसिड में पाया जाने वाले रासायनिक नाबाइटिन स्मृति को धीमा नहीं होने देता.
वैज्ञानिकों ने 13,000 से अधिक मध्यम आयु वर्ग के व बुजुर्ग पुरुषों और महिलाओं को कई सालों के लिए ट्रैक किया और पाया कि रोजाना खट्टे फलों का सेवन करने वाले लोगों में डिमेंशिया विकसित होने का खतरा ऐसे लोगों की तुलना में 23 प्रतिशत कम है, जो सप्ताह में दो से भी कम दिन खट्टे फल खाते हैं.
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