हम औसत का पृयोग कयो करते है व इसकी कया सीमाए है
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hey
मूमन ही हम सभी जाने-अनजाने आँकड़ों से रूब डिग्री होते रहते हैं। चाहे किसी क्रिकेट मैच का स्कोर कार्ड हो, देश में गरीबी और बेरोज़गारी की स्थिति बतलाती अखबार या टीवी की खबरें हों, एक शिक्षिका के अपनी कक्षा के बच्चों से जुड़े रिकॉर्ड हों या फिर किसी परिवार के मासिक खर्च का हिसाब-किताब। आँकड़े हर कहीं हैं। ज़ाहिर तौर पर ये आँकड़े ज़रूरी हैं: खेल से जुड़े आँकड़े देखकर पता लगाया जा सकता है कि एक खिलाड़ी कैसा प्रदर्शन कर रहा है मूमन ही हम सभी जाने-अनजाने आँकड़ों से रूब डिग्री होते रहते हैं। चाहे किसी क्रिकेट मैच का स्कोर कार्ड हो, देश में गरीबी और बेरोज़गारी की स्थिति बतलाती अखबार या टीवी की खबरें हों, एक शिक्षिका के अपनी कक्षा के बच्चों से जुड़े रिकॉर्ड हों या फिर किसी परिवार के मासिक खर्च का हिसाब-किताब। आँकड़े हर कहीं हैं। ज़ाहिर तौर पर ये आँकड़े ज़रूरी हैं: खेल से जुड़े आँकड़े देखकर पता लगाया जा सकता है कि एक खिलाड़ी कैसा प्रदर्शन कर रहा है
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मूमन ही हम सभी जाने-अनजाने आँकड़ों से रूब डिग्री होते रहते हैं। चाहे किसी क्रिकेट मैच का स्कोर कार्ड हो, देश में गरीबी और बेरोज़गारी की स्थिति बतलाती अखबार या टीवी की खबरें हों, एक शिक्षिका के अपनी कक्षा के बच्चों से जुड़े रिकॉर्ड हों या फिर किसी परिवार के मासिक खर्च का हिसाब-किताब। आँकड़े हर कहीं हैं। ज़ाहिर तौर पर ये आँकड़े ज़रूरी हैं: खेल से जुड़े आँकड़े देखकर पता लगाया जा सकता है कि एक खिलाड़ी कैसा प्रदर्शन कर रहा है मूमन ही हम सभी जाने-अनजाने आँकड़ों से रूब डिग्री होते रहते हैं। चाहे किसी क्रिकेट मैच का स्कोर कार्ड हो, देश में गरीबी और बेरोज़गारी की स्थिति बतलाती अखबार या टीवी की खबरें हों, एक शिक्षिका के अपनी कक्षा के बच्चों से जुड़े रिकॉर्ड हों या फिर किसी परिवार के मासिक खर्च का हिसाब-किताब। आँकड़े हर कहीं हैं। ज़ाहिर तौर पर ये आँकड़े ज़रूरी हैं: खेल से जुड़े आँकड़े देखकर पता लगाया जा सकता है कि एक खिलाड़ी कैसा प्रदर्शन कर रहा है
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