Hindi, asked by Anonymous, 9 months ago

हमें पशु पक्षियों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए इस कथन के संबंध में तर्क सहित अपने विचार प्रस्तुत कीजिए |
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Answered by ankushsaini23
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Answer:

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\red {QUESTION}

हमें पशु पक्षियों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए इस कथन के संबंध में तर्क सहित अपने विचार प्रस्तुत कीजिए |

\green {ANSWER}

चिकित्सा या उपचार शब्द सुनते ही हमारे मन में सबसे पहले जो छवि निर्मित होती है, वह है डॉक्टर, नर्स, हॉस्पिटल, कैप्सुल, इंजेक्शन और इसी प्रकार की अन्य वस्तुओं की। इन सब व्यक्तियों और वस्तुओं का चिकित्सा से गहरा संबंध है, लेकिन चिकित्सा या उपचार में और भी न जाने कितनी वस्तुओं और स्थितियों का महत्वपूर्ण स्थान है। दुनिया में न जाने कितनी अजीबो-गरीब चीजों और स्थितियों से उपचार में मदद ली जाती है। उपचार में पशु-पक्षियों का भी अपना विशेष स्थान है, क्योंकि पशु-पक्षी अपने पालने वाले को आनंद की अनुभूति प्रदान कर उसके उपचार में सहायक होते हैं। पशु-पक्षियों का साहचर्य प्राप्त करना हमारी सुदीर्घ परंपरा का अटूट हिस्सा है। इसे धर्म से भी संबंधित किया गया है। कुछ लोग सुबह-सुबह पक्षियों को दाना चुगाने जाते हैं। यह कार्य पक्षियों को दाना चुगाने के बहाने उनका साहचर्य प्राप्त करने का प्रयास ज्यादा है।

पशु-पक्षियों की इसी संवेदनशीलता के कारण उनके सान्निध्य में मनुष्य के भावनात्मक संतुलन को दृढ़ता मिलती है। इससे मनुष्य का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और तनाव या भावनात्मक असंतुलन की अवस्था में शीघ्र संभल जाता है। और रोग होने पर शीघ्र रोगमुक्त भी हो जाता है।

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Answered by Anonymous
8

&lt;p style="color:cyan;font-family:cursive;background:black;font size:25px;"&gt;  जबलपुर। नईदुनिया रिपोर्टर</p><p></p><p>पशु-पक्षियों के प्रति सभी को संवेदनशील होना चाहिए। आप जैसा अपने बच्चों को सिखाते हैं, बच्चे भी वैसा ही सीखते हैं। यदि आप पशु-पक्षियों के प्रति संवेदनशील हैं, तो आपके बच्चे भी संवेदनशील होंगे। बेजुबान जानवरों की तकलीफ को देख उनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए। ये शिक्षा बच्चों को नईदुनिया गुरुकुल की कहानी दुश्मन नहीं, दोस्त बने के माध्यम से दी गई। गुरुकुल के अंतर्गत स्मॉल वंडर्स स्कूल में दुश्मन नहीं, दोस्त बनें कहानी संतोष राजपूत ने सुनाई। बच्चों ने इस कहानी को उत्साह के साथ सुना और जाना की हम भी छोटे-छोटे प्रयास करके पशु पक्षियों की मदद कर सकते हैं। घर के छतों में सकोरे में पानी, चावल के दाने डालकर रख सकते हैं। जिससे पक्षी आपके घर के छत पर बैठकर आराम से दाना पानी ले सकें। पहले गौरेया अक्सर हर घर के बाहर घोंसला बनाकर रहती थी। सुबह होते ही उनकी चहचहाहट सुनाई देने लगती थी। आधुनिक समय में लोगों के घर भी आधुनिक है। जिसमें झरोखे नहीं होते। पक्षियों को कोई अच्छी जगह नहीं मिलती। खाने के लिए दाना नहीं मिलता। जिससे उनकी संख्या कम होती जा रही है। हमें इस बारे में सोचना चाहिए। कैसे हम पशु पक्षियों की मदद कर सकते हैं।</p><p>घर पर रखते हैं सकोर गर्मी के दिनों में घर के छत में पक्षियों के लिए सकोरे रखते हैं। इसके साथ ही हर रोज चावल के दाने गैलरी में रखते हैं। ये मेरी मां करती हैं। यही वजह है कि मेरे घर पर गौरेया रोज आती हैं।</p><p></p><p>परी जैन, छात्रा

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