Hindi, asked by Brijmohangond, 1 year ago

हमारे ग्रह(पृथ्वी) को सबसे बड़ा खतरा, हमारी इस मानसिकता से है कि कोई इसे बचा लेगा। 1000 शब्द में

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Answered by BrainlyYoda
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Hey there ,  A similar answer is posted at http://brainly.in/question/629020   “हमारे ग्रह के लिए सबसे बड़ा खतरा यह विश्वास है कि कोई और इसे बचाएगा” भूमिका पूरे ब्रह्मांड में धरती ही एक ऐसा ग्रह है जहां जीवन संभव है I यहाँ पर जीवन के लिए जरुरी हर चीज मौजूद है I लेकिन कुछ दशकों से इन्सान ने तरक्की तो की लेकिन धरती के संतुलन को बिगाड़ दिया I  आज हर देश तरक्की करना चाहता है पर पृथ्वी के बिगड़ते संतुलन पर कोई भी राष्ट्र विशेष कार्य नहीं कर रहा है I हर कोई सोचता है कि इसे बचाने का काम कोई और करेगा पर वह और कौन? कौन बचाएगा धरती को?  धरती को खतरा ... To check the full answer visit the question http://brainly.in/question/629020
Answered by kvnmurty
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   पृथ्वी को इस मानसिकता से बहुत बड़ा खतरा है | क्योकि आखिर कोई ठीक काम नहीं करेगा और सब लोग पर्यावरण , पानी , हवा सब चीजों को  बर्बाद कर देंगे |   इस सोच से हम लोगों को निकलना है |   इसी लिए  कुछ  व्यवस्थाएं लोगों के सोच को बदलने की कोशिश करते हैं | बच्चों को स्कूल में कालेज में पढ़ाई के रूप में  सारे विषय पढ़ाते हैं |



   पृथ्वी को खतरा है तो अनु संबंधी खचरा से, ग्रीनहाउस गासों से , पेट्रोल जलानेसे निकलते  हुए धूप से, केमिकल जो जहर होते है अगर पीने के पानी में मिलाये तो, अगर हम वन, वृक्ष नाश करें तो, कुछ खराब खाद जो खेतों में फसल ज्यादा होने के लिए डालते हैं - उनसे, और   प्लास्टिक थैलियोसे जो पानी को ख़राब करते हैं और खाने की चीजों को भी ख़राब करते हैं |    और भी है  जैसे कि  इलेक्ट्रोनिक  खचरा (इ-वेस्ट) |



    कुछ सालों से उद्योगपति भी  बदल रहे हैं | नयी नयी गाडियां जो प्रदूषण नहीं करते हैं  बनाने लगे हैं |  और  आजकल  सोलार परिकरण, वाहन, सोलार  विद्य्क्ति (बिजली) के उपकरण  भी बन रहे हैं |   भारत में तो  बदलाव आने लगा है | लेकिन कुछ आफ्रीका के  कुछ जगहों में  अभी भी कुछ पुराने आदत  और प्राक्टीस  चल रहे हैं |  इनको बदलना है | 

 

    नयी सोच आने मैं  और दुनिया के सारे लोगों में बदलाव आने में बहुत लम्बा  समय तो लगेगा | क्योंकि इसके लिए पैसे तो  बहुत ज्यादा लगेगा और नए तकनीकी की आवश्यकता  होगी |  हम आजकल तो "पृथ्वी दिन" (Earth Day) मनाते हैं |   स्कूलों में प्रत्योगिताओं का निर्वहण करते हैं | दुनिया के  कुछ सरकार मिलकर  पर्यावरण और जंतु जाल के आरक्षण के लिए  कुछ  नियम, दिशा-निर्देश भी बनाएं हैं |    धीरे धीरे यह सब  लागू होंगे |  



    मैं यही आशा करूँगा कि सब लोग अपना कर्तव्य ये समझे कि  जैसे हम अपना घर सँभालते हैं  गिरने से , बर्बाद होने से,  वैसे ही  धरती माँ को भी समझे और बचाएं |

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