Hindi, asked by zoyham6, 1 month ago

हमारे हरर हाररल की लकरी। मन क्रम बचन नन्द-नन्दन उर, यह दृढ़ करर पकरी। जागत सोवत स्वप्न हदवस-ननलस, कान्ह-कान्ह जकरी। सुनत जोग लागत हैऐसौ, ज्यौं करुई ककरी। सुतौ ब्याधि हमकौं लैआए, देखि सुन न करी। यह तौ ‘सूर’ नतनहह लै सौंपौ, जजनके मन चाकरी॥ क) कववता में ककस रस का प्रयोग हुआ है? ि) गोवपयााँ जागते-सोते क्या कर रही हैं? ग) जोग गोवपयों को ‘करुई ककड़ ’ क्यों लग रहा है? घ) गोवपयााँ, ककसे योग की लशक्षा देने की बात कह रही हैं? ङ) ‘कान्ह-कान्ह’ में कौन सा अलींकार है?​

Answers

Answered by mdmayekar90
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Explanation:

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Answered by abhaysingh27052019
1

Answer:

गोवपयााँ, ककसे योग की लशक्षा देने की बात कह रही हैं

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