हमारे जीवन में लोकगीतों का क्या महत्व है? स्पष्ट कीजिए।
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लोकगीत ही लोकजीवन की वास्तविक भावनाओं को प्रस्तुत करता है। इसमें मनुष्य मात्र के पारिवारिक और सामाजिक जीवन का सामयिक तथा भावनात्मक चित्रण रहता है।
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लोक गीत किसी भी क्षेत्र के हों उनमें रोचकता होती है। ग्रामीण परिवेश में लोकगीत की रचना होती रही है।
लोकगीतों का संसार बड़ा ही रोचक है. जिनका जुड़ाव सीधा लोगों से होता है। लोक गीत संस्कृति का परिचायक होते हैं। हरेक को अपनी बोली-भाषा के लोकगीत बखूबी भाते हैं। लोकगीतों में परंपरा, रीति-रिवाज, सामाजिक व धार्मिक पुट होता है। क्षेत्रीय बोली-उप बोली में क्षेत्र के लोक द्वारा रचे गए गीत जिन्हें वहां का समाज व क्षेत्र के लोग अपनाते हैं लोकगीत कहलाते हैं। साधारण रूप से हर क्षेत्र में अपनी शैली में गाए जाए वाले इन गीतों का विशेष महत्व होता है। अर्थात अपनी बोली में गीत रचकर, उस क्षेत्र के लोगों के लिए गाकर, गीत को सफलता का मुकाम देना, जिसके लिए ना तो किसी साहित्य की जरूरत पड़ती है और ना ही किसी प्रशिक्षण की। लोकगीत विभिन्न प्रकार से रचे और गाए जाते हैं। मंगल गीत, प्रेम गीत, श्रृंगार गीत, विरह गीत, ऋतु गीत, त्योहार गीत, फाग गीत, बसंत, पावस गीत, संस्कार गीत, जन्म गीत, मुंडन गीत, पर्व गीत, आदि। लोक गीतों का महत्व हमेशा बना रहता है। देहाती इलाकों में लोक गीत मनोरंजन का प्रमुख साधन हैं। हालांकि, आजकल नए-नए तरह के गीत ग्रामीण पृष्ठभूमि को लेकर रचे जा रहे हैं लेकिन लोक गीतों का मुकाबला कर पाने में काफी पीछे हैं। हरेक को अपने क्षेत्र के लोक साहित्य को आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।