हमारी कंधों में उतर गई मां - का आशय क्या है?
( based on पुल बनी थी मां )
pls don't post irrelevant answers
Answers
कंधे से उतर गई माँ
जब तक जीवित रही माँ
हम बदलते रहे अपने कंधे,
माँ, आखिर माँ ही तो है
बार-बार हमें कंधे बदलते देख
हमारे कंधे से उतर गई माँ
और मां के कंधों से उतरते ही
उतर गए हमारे कंधे
कंधे से उतर गई माँ इन पंक्तियों से आशय यह है कि कवि समाज की दुखद प्रवृत्ति पर एक माँ के माध्यम से ध्यान आकृष्ट कराना चाहता है। आत्म निर्भर रहने वाली माँ धीरे-धीरे अपने बेटों के कंधों पर आश्रित हो गई थी अर्थात वृद्धावस्था में वो कमजोर हो गई और अपने बेटों पर आश्रित हो गई। माँ की जिम्मेदारी अपने कंधों पर आया देख दोनों बेटे उसे बोझ समझने लगे और अपने कंधे बदलने लगे अर्थात अपनी जिम्मेदारी एक-दूसरे के ऊपर डालने लगे। बेटों के लिए अपनी बूढ़ी माँ का की देखभाल करना कठिन होने लगता है, तो माँ तो आखिर माँ ही होती है। उससे अपने बच्चों की परेशानी देखी नहीं गयी और वो उनके कंधों से उतर जाती है, अर्थात अपने प्राण त्याग देती है। इस तरह वह अपने बेटों को उनकी जिम्मेदारी से मुक्त कर देती है। वह बच्चे जो अपनी माँ को बोझ समझ रहे थे। उसके मरते ही स्वयं को बेसहारा समझने लगते हैं।
व्याख्या...
यहाँ पर कवि ने इस कविता के माध्यम से समाज की विडंबना पर कटाक्ष किया है, जहाँ पर बच्चे अपने बूढ़े माँ-बाप को बोझ समझने लगते हैं। वह माँ-बाप जिन्होंने अपने बच्चों को पाल-पोस कर किसी योग्य बनाया। अपने सुख को त्याग कर उनके लिए हर चीज सुलभ कराई। वही बच्चे जब मां बाप बूढ़े हो जाते हैं और उन्हें किसी सहारे की जरूरत होती है तो वही बच्चे माँ-बाप को बोझ समझने लगते हैं और उनकी जिम्मेदारी उठाने से बचना चाहते हैं। माँ बाप फिर भी माँ बाप ही होते हैं, वे बच्चों के इस रूखे व्यवहार का बुरा नहीं मानते और अपने बच्चों पर खुद के कारण आई तकलीफ देखकर अपने प्राण तक त्याग देते हैं, ताकि उनके बच्चे उनकी वजह से परेशान न हों, और सुखी रहें।
☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼
Here
xD
enjoy ✔️(^∇^)ノ♪