हमारा राष्ट्रीय ध्वज अनुछेद
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- भारत के राष्ट्रीय ध्वज को तिरंगा कहते हैं, राष्ट्रीय ध्वज देश की स्वतंत्रता का प्रतीक होता है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज में, तीन रंग विद्यमान हैं, इसके वजह से इसका नाम तिरंगा रखा गया है। पहले के राष्ट्रध्वज संहिता के अनुसार केवल सरकार तथा उनके संगठन के माध्यम से ही राष्ट्र पर्व के अवसर पर ध्वज फहराने का प्रावधान था।
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Explanation:
प्रत्येक राष्ट्र की नीति अन्य राष्ट्रों से पृथक् और विशिष्ट होती है । उसमें कई बातें ऐसी भी होती हैं, जो केवल उसी राष्ट्र की रीति-नीति में पाई जाती हैं । प्रत्येक राष्ट्र का प्रतीक, राष्ट्रध्वज अन्य सब राष्ट्रों से पृथक् और विशिष्ट होता है । किसी भी देश का राष्ट्रध्वज अपने पूरे देश का प्रतीक होता है ।
किसी राष्ट्रध्वज में राष्ट्र की धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परंपराओं तथा भावनाओं का समावेश होता है । यही कारण है कि कपड़े का यह टुकड़ा पूरा राष्ट्र बन जाता है । इसकी परंपरा की प्राचीनता ‘गरुड़ ध्वज, ‘कपि ध्वज’ आदि पौराणिक नामों से स्पष्ट हो जाती है ।
तिरंगा हमारे देश का राष्ट्रध्वज है और उसके बीचोबीच चौबीस तीलियों वाला चक्र अंकित है । आजादी की लड़ाई के दौरान तिरंगे झंडे का जन्म हुआ था । आरंभ में लाल, हरा और सफेद-इन तीन रंगों का मिश्रण था और सफेद कपड़े पर चरखा अंकित था ।
चरखे का अभिप्राय स्वावलंबन से था । लाल, हरा, सफेद-ये तीन रंग भी हिंदू, मुसलिम और अन्य भारतवासियों की संस्कृति के प्रतीक थे । बाद में इसमें कुछ सुधार किया गया । लाल रंग की जगह केसरिया स्वीकार किया गया, चरखे की जगह चक्र अंकित किया गया ।
रंगों की व्याख्या पहले वर्ग के आधार पर की जाती थी, अब मानव के भौतिक गुणों से उसका संबंध जोड़ा जाता है । केसरिया को साहस और त्याग, सफेद को शांति और सच्चाई तथा हरे को श्रद्धा, प्रगति और विश्वास का प्रतीक माना जाता है।
इन सबसे बढ्कर तिरंगे झंडे का महत्त्व भारतीयों में जागृति और स्फूर्ति का संचार करने में है । आज स्वतंत्र भारत में राष्ट्रीय पर्वों पर राष्ट्राध्यक्षों एवं अधिकारियों द्वारा तिरंगा झंडा फहराकर इसका सम्मान किया जाता है । देश के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह तिरंगे की शान बनाए रखे और इसे पूरा सम्मान दे l
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