India Languages, asked by mitrajit9371, 19 days ago

हमारे संचय में था दान, अतिथि थे सदा से हमारे देव , वचन में सत्य , हृदय में तेज , प्रतिज्ञा में राहती थी टेव - इस पंक्ति का अर्थ बाताओ।​

Answers

Answered by omkarchaoure2005
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Answer:

इस पंक्ती का अर्थ यह है कि, "हम सदा गरजू को दान करते थे । मेहमान मतलब अतिथी हमारे लिये सदा भगवान थे । हम वचन में सत्य थे ' हमारे हृदय मे तेज था । हमारे आदेशा प्रतिज्ञा मे सदा ही सच्चाई रहती थी । "

Answered by UsmanSant
4

हमारे संचय में था दान, अतिथि थे सदा से हमारे देव , वचन में सत्य , हृदय में तेज , प्रतिज्ञा में रहती थी सेवा।

  • उपर्युक्त पंक्तियां बहुत ही सुंदर ढंग से लिखी गईं हैं।
  • इनका भावार्थ कुछ इस प्रकार है —
  • हम कुछ संचय भी करें तो दान संचय करें अर्थात हमें धन संचय करने से अच्छा है उसे दान में देते रहना चाहिए।
  • हमने कभी देवताओं को देखा नहीं है परंतु वेदों पुराणों में अतिथि को सदैव देवता माना गया है। इसलिए हमें किसी भी अतिथि का आदर भाव से देवतुल्य मान कर सेवा करनी चाहिए।
  • हमें सदैव सत्य बोलना चाहिए। हमारे मुंह से निकला हुआ हर वाक्य सत्य होना चाहिए ।
  • अपने ह्रदय को सदैव खुला रखना चाहिए और सबको एक समान देखना चाहिए।
  • सेवा धर्म को ही हम प्रतिज्ञा बनानी चाहिए। हमे बिना किसी भेद भाव के अनवरत सेवा भाव से लगे रहना चाहिए।

#SPJ2

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