हमारी संस्कृति किस प्रकार हमें पशुता मनुष्यत्व और प्रवृत करती है
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संस्कृत का अर्थ है खुद से बनाया गया कोई भी कार्य या जो हमे हमारे जीवन में हमारी सहायता करे। अथार्थ हमारे जीवन को आसान और सरल बनाए। जैसे- जैसे मनुष्यों अपने जीवन में आगे बढ़ता चला गया उसने अनेक चीजो की रचना की। उसके पीछे और आगे जितने भी मनुष्य आय उसने उस संस्कृत को संस्कृति में बदल दी यानी उस संस्कृत का पालन किया और जीवन में सरलता और आधुनिकता ला पाए।
मनुष्य ने पहनने के लिए वस्त्र बनाए ताकि वह ठंड से बचा रह सके। उसे देखकर दूसरे मनुष्यों ने भी वस्त्र पहनना शुरू कर दिया ताकि वो भी ठंड से बचे रह सके। यह उपाय कारगर साबित हुआ जिसे लोगों ने अपना लिया और इस संस्कृति को संस्कृति में बदल दिया।
इस उदाहरण को आप मान सकते हैं की मनुष्यों ने पशुता की ओर से मनुष्यत्व की तरफ प्रवृति किया है वस्त्र संस्कृति को अपना के। क्योंकि दुनिया में ऐसा कोई भी जीव नहीं है जिसने वस्त्रों का उपयोग किया।
यह मनुष्य की ही संस्कृति थी जिसने हमें अपने शरीर के प्रति जागृत किया और हम आधुनिकता की तरफ बढ़ते चले गए।