हम सब अपना जनमदीव क्यों मनात
यह लिखो।
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किसी व्यक्ति का जन्मदिन कैलेंडर के अनुसार व्यक्ति के जन्म से पूरे वर्ष के बाद एक विशिष्ट तिथि पर होता है।अक्सर जन्मदिन केक पर मोमबत्ती जलाकर मनाया जाता है।कुछ विशेष लोगों या देवी-देवताओं के जन्मदिन लोग ख़ास तौर पर मनाते हैं। ऐसा जरूरी नहीं है कि यह जन्मदिन उनका वास्तविक जन्मदिन से मेल खाए, बल्कि इसे एक निश्चित दिन के रूप में देखा जाता है। ऐसे दिनों को जयंती कहते हैं।
हम सब अपना जनमदीव क्यों मनात
लो जी कोरोना काल में वह दिन भी फिर से आ गया जो मैं पिछले कई सालों से नौकरी पाने के लिये अलग-अलग फॉर्मों में बिना नक़ल किये पहली बार में ही सही भर रहा था। भाजपा शासन के डिजिटल युग में आधार कार्ड, पेन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस के साथ मेरा पाला इस तिथि से कहीं ना कहीं रोज़ ही पड़ जाता है। जी हाँ वो मेरी जन्मतिथि ही है जो आज फिर से आ गयी।
इस तिथि के साथ भी मेरा गहरा नाता है इसको सोच सोच कर मेरा मन विचलित हो उठता है, ये ह्रदय पत्थर का हो जाता है जब मैं यह सोचता कि मेरे उन सपनों को पूरा करने का समय निकला जा रहा है जो मैंने इस जीवन में खुली आंखों के साथ ही देख लिये थे। जीवन अब भी पथरीली राहों पर ही चला जा रहा है और यह रास्ता कब खत्म होगा इसका दूर-दूर तक कुछ पता नही चलता। अपनी उम्र से छोटे लोगों को देखकर ये ह्रदय जल उठता है और खुद से कहता है कि देख बुड़बक ये तुझसे ज्यादा ज्ञानी हो गया और तू यही रह गया। वैसा ही जैसा शेखचिल्ली के बारे में सुना था।
बड़े भाइयों को देखकर यह सागर रूपी अठखेलियां लेने वाला ह्रदय उमंग से भर उठता है और मेरे चंचल मन से कहता है देख तेरी किस्मत अभी तो तू जवान है बहुत समय है तेरे पास इन मूर्खों से आगे निकलने के लिये। यही सोचते सोचते साल का वह दिन आ ही जाता है जब आप इस धरती पर पधारे। 12 बजे से पहले नींद नही आती। स्मार्टफोन के इस युग में मित्रों की शुभकामनाएं घड़ी की दोनों सुइयाँ गुरुत्वाकर्षण की वजह से एक साथ ऊपर अटकते ही वाट्सएप पर प्राप्त होने लगती हैं, कुछ मित्रों के स्टेट्स पर आपका अधिकार बन जाता है। फेसबुक पर उन मित्रों से भी सन्देश प्राप्त होने लगते हैं जिनसे पूरे साल बात नही होती, उनके जीवित होने का प्रमाण यही सन्देश होते हैं।