हर बार हर किसी का जवाब देना जरूरी नहीं है." का उदाहरण
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'' अनीता यह क्या आदत है तुम्हारी? जब देखो मेरी मां से लड़ती रहती हो"
" मैं लड़ती रहती हूं?? आप उनकी आदत नहीं देखते हो"
" अरे अब तुम बुढ़ापे में उनकी आदत क्यों बदलने में लगी हुई हो? वह जैसी भी है मेरी मां है। वह नहीं बदल सकती तो तुम अपने आप को बदल लो। तंग आ गया तुम दोनों के झगड़ो से"
कहते हुए राजेश ने दरवाजा जोर से पटका और बाहर निकल गया। बाहर माँ जी का चिल्लाना भी बदस्तूर जारी था। बाहर जाकर राजेश ने मां को भी चुप कराने की कोशिश की पर वह भी कहाँ चुप होने वाली थी,
" हां, मुझे ही चुप रहने के लिए कह, अपनी बीवी को तो कुछ कहेगा नहीं। मेरी तो जिंदगी ही खराब है। तेरे पापा की जगह अगर मैं मर जाती तो ज्यादा अच्छा था। कम से कम यह दिन तो देखना नहीं पड़ता। बेटा भी बीवी के पक्ष में ही बोल रहा है। मैं तो बिल्कुल अकेली रह गई"
कहते-कहते माँ जी ने जोर जोर से रोना शुरू कर दिया।
" मां तुम को भी समझाना नामुमकिन है। तुम दोनों सास बहू एक जैसी हो। जा रहा हूं मैं यहां से। परेशान करके रखा दिया। सोचा था संडे है, कुछ देर घर में आराम करूंगा पर आराम घर में कहाँ?"
राजेश ने बाइक की चाबी उठाई और निकल गया घर के बाहर।