हरिहर काका के बारे में मैं सोचता हूं तो मुझे लगता है कि वह यह समझ नहीं पा रहे हैं कि कहे तो क्या करें? class 10 need answer anybody can help
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हरिहर काका के बारे में मैं सोचता हूँ तो मुझे लगता है कि वह यह समझ नहीं पा रहे हैं कि कहे तो क्या कहें? अब कोई ऐसी बात नहीं जिसे कहकर वह हल्को हो सकें। कोई ऐसी उक्ति नहीं जिसे कहकर वे मुक्ति पा सकें। हरिहर काका की स्थिति में मैं भी होता तो निश्चय ही इस गूंगेपन का शिकार हो जाता।
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