Hindi, asked by anjalikala9d, 22 days ago

हरिहर काका के बारे में मैं सोचता हूं तो मुझे लगता है कि वह यह समझ नहीं पा रहे हैं कि कहे तो क्या करें? class 10 need answer anybody can help ​

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Answered by rabiakhanam1802
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Answer:

हरिहर काका के बारे में मैं सोचता हूँ तो मुझे लगता है कि वह यह समझ नहीं पा रहे हैं कि कहे तो क्या कहें? अब कोई ऐसी बात नहीं जिसे कहकर वह हल्को हो सकें। कोई ऐसी उक्ति नहीं जिसे कहकर वे मुक्ति पा सकें। हरिहर काका की स्थिति में मैं भी होता तो निश्चय ही इस गूंगेपन का शिकार हो जाता।

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